मोबाइल पर नहीं आएगा अलर्ट और अपने से पैसा ट्रांसफर हो जाएगा, इस बैंक के खाते से 35 लाख रुपए ऑन लाइन गायब

मुंबई- कोरोना में डिजिटल बैंकिंग ने लोगों की नींद हराम कर दी है। ऑन लाइन फ्रॉड बढ़ गए हैं। मजे की बात यह है कि आपका मोबाइल फोन बंद हो तो भी आपके बैंक खाते से ऑन लाइन पैसा ट्रांसफर हो जाएगा। कोई अलर्ट नहीं आएगा। कोई वेरीफिकेशन नहीं होगा। यस बैंक के एक ग्राहक की कहानी ऐसी ही है। 35 लाख रुपए उसके खाते से उड़ गए। आज तक वापस नहीं मिले।  

दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में स्थित यस बैंक में सीनियर सिटिजन प्रवीण नांगिया का तीन खाता है। एक सेविंग है बाकी दो एचयूएफ और अन्य हैं। सभी की लॉग इन आईडी और पासवर्ड अलग-अलग हैं। पिछले साल 3 नवंबर को नांगिया के बचत खाते से 10 लाख रुपए पहली बार उनके एचयूएफ खाते में ट्रांसफर होता है। फिर 4 नवंबर को 7 लाख रुपए एचडीएफसी बैंक में अभय कुमार के खाते में ट्रांसफर होता है। कोई अलर्ट नांगिया को नहीं मिलता है।  

4 नवंबर को ही फिर 3 लाख रुपए आईसीआईसीआई बैंक में रामू के खाते में ट्रांसफर होता है। इसी दिन अन्य बचत खाते से चार बार ट्रांजेक्शन किया गया। इसमें 12.50 लाख रुपए अभय कुमार के एचडीएफसी खाते में, 7.60 लाख रुपए रामू के आईसीआईसीआई बैंक खाते में, 4.50 लाख रुपए मयूर सालुंखे के आईसीआईसीआई बैंक के खाते में और 40 हजार रुपए रामू के खाते में फिर ट्रांसफर हुए। यह पूरी चेन बनाकर ट्रांसफर किया गया। कुल 35 लाख रुपए आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के खाते में भेजे गए।  

अगले दिन ही प्रवीण नांगिया ने बैंक और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। यस बैंक के ओंबुड्समैन के साथ फॉलोअप किया। आरबीआई में ओंबुड्समैन के पास शिकायत दर्ज कराई। आश्चर्य यह है कि बैंक ने एक भी सवाल सुनने का मौका नहीं दिया. यस बैंक ने कहा कि वह आंतरिक जांच कर रही है। ढाई महीने बाद बैंक के ओंबुड्समैन से ईमेल आया। इसमें खाताधारक पर ही आरोप लगाया गया। बैंक ने कहा कि नेट बैंकिंग पासवर्ड के साथ ग्राहक ने समझौता किया। इसके बाद बैंक ने इसकी जांच बंद कर दी। बैंक का यही जवाब हाल में मुंबई में हुई एक इसी तरह की घटना में भी रहा है। आश्चर्य यह है कि सभी खातों का अलग से लॉग इन आईडी है। ऐसे में यह संभव नहीं है कि कोई एक लॉग इन आईडी के लीक होने से सभी ट्रांसफर हो जाए।  

नांगिया कहते हैं कि जब यह ट्रांजेक्शन हुआ उस समय उनका सिम कार्ड काम नहीं कर रहा था। ऐसे में बैंक के आईवीआर सिस्टम से यह फ्रॉड हुआ जिसमें ओटीपी जनरेट की गई। वे कहते हैं कि मेरे एक खाते से मेरे ही दूसरे खाते में पैसे ट्रांसफर होता है। फिर वहां से चेन बनाकर यह ट्रांसफर होता है। वे कहते हैं कि जिन बैंक में पैसे गए हैं, वहां से यस बैंक चाहे तो उसे रिफंड मांग सकता है। ऐसा होता है। लेकिन यस बैंक ने कोई सुनवाई नहीं की। उनका आरोप है कि बैंक ने आईपी एड्रेस से कोई जांच नहीं की जिससे लोकेशन का पता चलता है।  

इस मामले में कोई कट ऑफ टाइम भी नहीं था। इस केस से ऐसा लग रहा है कि ठग को सभी खातों का लॉग इन आईडी और पासवर्ड पता था। वह खातों के बैलेंस को जानता था। इससे पहले इसी शाखा में राजेश आनंद के 30 लाख रुपए इसी तरह से ठग लिए गए थे। दरअसल इस कोरोना में लोगों ने डिजिटल बैंकिंग अपनाना शुरू किया। फ्रॉड के लिए यहीं से ठगों को मौका मिला।  

केस का सार क्या है और आपको क्या करना चाहिए?  

कभी भी ऑन लाइन ट्रांजेक्शन के लिए एक ऐसा खाता रखें जिसमें कम बैलेंस हो। हमेशा अपना पासबुक या मोबाइल पर बैलेंस देखते रहें। मोबाइल नंबर और ईमेल अपडेट कराते रहें। आजकल डिजिटल में नए तरीके से फ्रॉड आ रहे हैं। ऐसे में कोशिश करें कि डिजिटल उपयोग कम करें। उन बैंकों में खाता न रखें, जहां पर इस तरह के फ्रॉड हो रहे हैं। बैंक की सिक्योरिटी और अन्य की जांच जरूर करें।  

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