कोरोना मामलों में उछाल के बावजूद अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर, ई-वे बिल, सीमेंट, बिजली की खपत में दिखी बढ़त

मुंबई– देश में जहां कोरोनावायरस मामलों में उछाल देखने को मिल रहा है, वहीं सितंबर में ई-वे बिल, बिजली की खपत और पेमेंट के आंकड़ों में वृद्धि हो रही है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर है। 

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, हम हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स में लगातार सुधार देख रहे हैं। बिजली की खपत के अंतर में कमी से एक साल पहले की तुलना में पिछले सप्ताह बिजली की अधिक खपत दिखी है। इसके अलावा सितंबर में पेमेंट्स डेटा और इम्पोर्ट ड्यूटी कलेक्शन भी मजबूत बनी हुई है। यूपीआई और आईएमपीएस लेनदेन भी उत्साहजनक रहा है। फ़ास्ट टैग लेनदेन में भी पिछले हफ्ते वृद्धि देखी गई है।  

रिपोर्ट के मुताबिक वास्तव में, सितंबर में दैनिक औसत एनईटीसी फ़ास्ट टैग से लेनदेन फरवरी 2020 के दैनिक औसत से अधिक था। यानी नॉर्मल अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा बढ़त देखी गई है। इसी तरह सितंबर में महाराष्ट्र में दैनिक औसत प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, मार्च 2020 के दैनिक औसत के आंकड़ों को पार कर गया। यह फरवरी 2020 के बराबर पर आ गया है।  

रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त के आंकड़ों के मुकाबले सितंबर में रेलवे माल ढुलाई भी ज्यादा ही रही है। कुछ संकेतकों में खुशहाली दिखाई दे रही है, लेकिन अन्य देशों की तुलना में भारत की पोजीशन अभी भी काफी पीछे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रॉस-कंट्री तुलना से पता चलता है कि भारत में रिकवरी ज्यादातर देशों की रिकवरी से पीछे है। 

फिलीपींस के अपवाद को छोड़ दें तो, सामान्य स्थिति में भारत में आर्थिक रिकवरी बाकी देशों की अपेक्षा औसत दिखाई पड़ रही है। क्योंकि लोग ज्यादातर समय घर पर बिता रहे हैं। सार्वजनिक जगहों पर जाने में अब भी लोग बच रहे हैं। वे दुकानों और मनोरंजक स्थानों, शॉपिंग मॉल में जाने से कतरा रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि सार्वजनिक स्थानों पर जाने की उलझन अब भी जारी है। 

इस बीच, भारत में प्रति दिन 95,000 से ज्यादा कोरोना के मामले दर्ज हो रहे हैं। सक्रिय मामलों की संख्या हाल ही में दस लाख को पार कर गई। पुणे, बेंगलुरु, मुंबई और ठाणे उन जिलों में से हैं, जिनमें नए मामलों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। आंकड़े बताते हैं कि अगस्त में 13.85 लाख करोड़ रुपए के 4.87 करोड़ ई-वे बिल जनरेट हुए थे। जुलाई में 4.76 करोड़ ई-वे बिल जनरेट हुए थे, जिनकी वैल्यू 13.66 लाख करोड़ रुपए थी। जून में यह 4.27 करोड़ और 12.40 लाख करोड़ रुपए था। जबकि मई में 2.51 करोड़ और 8.98 लाख करोड़ रुपए वैल्यू थी।   

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