अब बिना खून बहे भी हो सकता है दिल का ट्रांसप्लांट, भारत ने बनाया रिकॉर्ड
मुंबई- एशिया में पहली बार एक बूंद भी खून बहे बिना मरीज के लीवर का सफल ट्रांसप्लांट का दावा किया गया है। मरीज को केवल 9 दिनों में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जबकि सामान्य मामलों में 20-25 दिनों में छुट्टी मिलती है। ऐसी स्थिति में किसी और इंसान से खून लेने की जरूरत भी नहीं होती है।
मारेंगो एशिया अस्पताल के डॉ. राजीव सिंघल ने बताया कि अहमदाबाद में 52 वर्षीय मरीज चंद्रप्रकाश गर्ग को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। इस मामले में दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति का लीवर मिला जिसे गर्ग के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया। डॉ. धीरेन शाह और धवल नाइक की टीम ने बिना एक बूंद खून बहे इसे पूरा किया। उन्होंने कहा, इसके लिए नई तकनीक का उपयोग किया गया जिसके लिए मारेंगो अस्पताल ने वेरफेन के साथ एक करार किया है।
सामान्य हृदय प्रत्यारोपण और इस तकनीक के जरिये किए जाने वाले इलाज की लागत बराबर ही होती है। हालांकि, मरीज को 25 दिन के बजाय 10 दिन में छुट्टी मिल जाती है इसलिए उसका अस्पताल का खर्च बच जाता है। साथ ही किसी भी दूसरे व्यक्ति के खून चढ़ाने का एक जो जोखिम होता है, उससे भी मरीज को छुटकारा मिल जाता है।
भारत में 20 लाख यूनिट खून की कमी है। ऐसे में अगर यह तकनीक अपनाई जाती है तो बड़े पैमाने पर लाखों लोगों को खून मिल सकता है और उनका जीवन बच सकता है। साथ ही भारत में ऑर्गन डोनेशन की दर केवल एक फीसदी है जो अमेरिका में 30 फीसदी है। इस समय इस दर को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बच सके।