चीन ने किया रूस का समर्थन, ताइवान पर कर सकता है हमला
मुंबई- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के आदेश पर रूसी सेनाओं ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है। रूस के साथ चीन आ गया है। अब डर इस बात का है कि कहीं ताइवान को हथियाने के लिए चीन भी युद्ध का रास्ता न अपना ले।
चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा बताते आए है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद अब ऐसा माना जा रहा है कि चीन भी ताइवान में पुतिन की राह पर बढ़ सकते हैं। चीन काफी करीब से रूस-यूक्रेन युद्ध पर पश्चिम का रुख देख रहा है। चीन का कहना है कि यूरोपीय देशों और अमेरिका की भू-राजनीतिक चिंताओं के संदर्भ में अलग-अलग प्राथमिकताएं हैं। चीन का लक्ष्य है कि ताइवान को उनकी राजनीतिक मांग के आगे झुकने और चीन के कब्जे को मानने के लिए मजबूर किया जा सके।
रूस-यूक्रेन जंग के दौरान नजरें चीन के रुख पर भी हैं, क्योंकि वो हमेशा से रूस के पाले में नजर आया है। चीन भी रूस की तरह नाटो का विस्तार नहीं चाहता। हालांकि चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक सुरक्षित रुख अपनाया।
एक ओर कई देशों ने यूक्रेन के खिलाफ लिए गए रूस के कदमों का निंदा की है वहीं, दूसरी ओर चीन ने न तो रूस के कदमों खिलाफ कुछ कहा और न ही रूस के पक्ष में कुछ कहा था। लेकिन अमेरिका के रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद चीन खुलकर रूस के साथ खड़ा हो गया है। अमेरिका के इस कदम का चीन ने विरोध किया और इसे आग में घी डालने वाला कदम बताया। चीन ने कहा- प्रतिबंध कभी भी समस्याओं को हल नहीं करते हैं।
चीन अवैध और एकतरफा प्रतिबंधों का लगातार विरोध करता है। चीन ने अमेरिका को यूक्रेन और रूस से जुड़े मुद्दों से निपटने के दौरान चीन और अन्य देशों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाने की चेतावनी दी है। इसके पहले UN सिक्योरिटी काउंसल की बैठक में चीन ने सभी पक्षों से संयम बरतने और यूक्रेन विवाद के राजनयिक समाधान खोजने के हर प्रयास को बढ़ावा देने की अपील की थी। चीन ने अपने बयान में रूस की आलोचना नहीं की।
बीजिंग विंटर ओलिंपिक के उद्घाटन समारोह में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन तीन फरवरी को चीन गए थे। इसके बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया था। इसी बयान में चीन ने भी नाटों के विस्तार पर आपत्ति जताई थी। हालांकि चीन, रूस के साथ मिलकर पश्चिमी लोकतंत्र के ग्लोबल मॉडल को कमजोर करने के लिए साथ काम कर सकते हैं।