LIC या IDBI से निकले या फिर LIC हाउसिंग फाइनेंस से
मुंबई- LIC के लिए एक और दिक्कत आ गई है। उसे अब या तो IDBI बैंक से निकलना होगा या फिर LIC हाउसिंग फाइनेंस से हटना होगा। इस तरह से मार्च 2024 के पहले LIC को यह काम करना होगा, क्योंकि तभी तक इसके लिए मंजूरी है। हालांकि इसके लिए निगम के पास अभी 2 साल से ज्यादा का समय है। ऐसे में यह काम उसके लिए आसान है।
हालांकि अभी LIC पर ऐसा कोई दबाव नहीं है, क्योंकि सरकार IDBI बैंक की हिस्सेदारी बेचने के लिए रणनीतिक निवेशकों की तलाश में है। मार्च 2019 में रिजर्व बैंक ने LIC को IDBI में हिस्सा खरीदने के लिए मंजूरी दी थी। इसमें कहा गया था कि मंजूरी के बाद पांच सालों के भीतर इन दोनों में से एक कंपनी में से उसे निकलना होगा। एलआईसी को रिजर्व बैंक के नियमों के तहत ऐसा करना होगा।
LIC को इससे पहले म्यूचुअल फंड में भी इसी तरह का दिक्कत का सामना करना पड़ा था। क्योंकि उसका खुद का म्यूचुअल फंड है और IDBI बैंक लेने के बाद उसका भी म्यूचुअल फंड बिजनेस इसके पास आ गया। सेबी के नियमों के मुताबिक, एक बीमा कंपनी दो म्यूचुअल फंड में 10% से ज्यादा की हिस्सेदारी नहीं रख सकती है। इसके बाद LIC ने IDBI म्यूचुअल फंड को मंजूरी दी कि उसकी स्कीम LIC म्यूचुअल फंड में डाल दी जाए। दोनों फंड कंपनियों ने इसके लिए इंडिपेंडेंट वैल्यूएशन और अन्य प्रक्रिया भी की।
हालांकि अभी तक यह पूरा नहीं हो पाया है। कंपनी ने सेबी के पास जमा मसौदे में कहा है कि यह प्रक्रिया अभी भी जारी है, पर इसके बारे में कोई अश्योरेंस नहीं दिया जा सकता है।
रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक, कोई बीमा कंपनी किसी दो हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में एक साथ नहीं रह सकती है। LIC हाउसिंग फाइनेंस इसकी खुद की पुरानी कंपनी है जो घरों के लिए लोन देती है। जबकि IDBI बैंक जब दिक्कत में आया तो सरकार ने उसे बचाने के लिए LIC को जिम्मेदारी सौंप दी। यह बैंक भी घरों के लिए लोन देता है।
IDBI बैंक में LIC ने जनवरी 2019 में 51% हिस्सेदारी ली थी जो इस समय 49.24% है। उसने सरकार से 87.75 करोड़ शेयर्स खरीदा था। 23 अक्टूबर 2019 को LIC ने फिर से 4,743 करोड़ रुपए डाला।