भारत की इकोनॉमी दुनिया में सबसे तेज बढ़ेगी, अमेरिका तीसरे नंबर पर
मुंबई- विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक, पूरी दुनिया में चालू और अगले वित्तवर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ेगी। अमेरिका की इकोनॉमी तीसरे नंबर पर रहेगी। चालू वित्त वर्ष में अमेरिका की इकोनॉमी 5.6% की दर से बढ़ेगी जबकि अगले साल में यह गिरकर 3.7 % रह सकती है।
विश्व बैंक का अनुमान है कि 2021-22 यानी अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था 8.3% की दर से बढ़ेगी। जबकि अगले साल यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच यह 8.7% की दर से बढ़ेगी। इकोनॉमिक सर्वें में चालू वित्त वर्ष के बारे में अनुमान है कि विकास दर 9.2% रह सकती है। हालांकि इकोनॉमिक सर्वे में भारत सरकार का अनुमान विश्वबैंक से ज्यादा ग्रोथ का है।
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि अगले साल में देश की अर्थव्यवस्था 8 से 8.5 % की दर से बढ़ सकती है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE का आंकड़ा है कि देश में सितंबर-दिसंबर 2021 के दौरान 3 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हुए हैँ। विश्व बैंक ने कहा है कि दूसरे नंबर पर चीन की इकोनॉमी होगी। चालू वित्तवर्ष में इसकी विकास दर 8% जबकि अगले साल यह भारी गिरावट के साथ 5.1% रह सकती है।
इसी तरह रूस की इकोनॉमी में भी अगले साल भारी गिरावट दिख सकती है। इस साल यह 4.3% की दर से बढ़ सकती है जबकि अगले साल इसके केवल 2.4% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। जापान इस लिस्ट में आठवें नंबर पर है। इस साल में इसकी इकोनॉमी केवल 1.7% बढ़ सकती है जबकि अगले साल यह 2.9% की दर से बढ़ सकती है।
यूरोपियन देशों की अर्थव्यवस्था की विकास दर इस साल में 5.2 और अगले साल में 4.2% रहने की उम्मीद जताई गई है। ब्राजील की विकास दर चालू साल में 4.9 और अगले साल में यह भारी गिरावट के साथ 1.4% रह सकती है। दक्षिण अफ्रीका की इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 2021-22 में 4.6 और 2022-23 में 2.10 % रहने की उम्मीद है।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि अगले साल केवल भारत और जापान की ही इकोनॉमी बढ़ने वाली है। बाकी देशों की घटती जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मंगलवार को अपना दसवां बजट पेश करेगी। 2014 से यह सरकार लगातार बजट पेश कर रही है। इस साल में सरकार का फोकस पूरी तरह से ग्रोथ पर होगा।
भारत की इकोनॉमी 2021-22 की पहली तिमाही में 20.1% की दर से बढ़ी थी। 2015 के बाद से यह सबसे तेज बढ़त हुई थी। जबकि दूसरी तिमाही में यह 8.4% की दर से बढ़ी थी। वित्तवर्ष 2017 की दूसरी तिमाही में इकोनॉमी में 9.7% की ग्रोथ दिखी थी। यह किसी एक तिमाही में 2015 के बाद दूसरी सबसे बड़ी विकास दर थी।
हालांकि विश्व बैंक ने इसी के साथ सरकार के समक्ष कई चुनौतियां भी बताया है। इसमें निजी खपत और निवेश अभी भी प्रोग्रेस पर है। यानी प्राइवेट कंपनियों द्वारा खर्च और निवेश पर फोकस करना होगा। हालांकि अभी भी ओमिक्रॉन का पूरा असर दिखना बाकी है क्योंकि कुछ राज्यों में प्रतिबंध लगाए गए हैँ। इसके साथ ही भारत में रिटेल महंगाई दिसंबर में 5.59% पर थी और यह सरकार के लिए चिंता का विषय है। इसके अलावा मझोले, छोटे उद्योगों को पटरी पर लाने और उनकी आजीविका बचाने के लिए भी जद्दोजहद करना होगा।
महंगाई से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक लगातार ब्याज दरों को घटाता गया और यह ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर है। इस समय ब्याज दरें जमा पर 5% जबकि उधारी पर 7% हैं।