बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ सकता है, सैलरी वालों को मिलेगा फायदा

मुंबई- सरकार अगर इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ा देती है तो यह सैलरी वालों के लिए अच्छा फैसला हो सकता है।  

KPMG के मुताबिक, वित्त वर्ष 2005-06 में सैलरी वाले टैक्स पेयर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को हटा देने के बाद इसे 40,000 रुपए की छूट के साथ 2018-19 में फिर से शुरू किया गया था। इसे 19,200 रुपए के परिवहन भत्ते और 15,000 रुपए के मेडिकल रिम्बर्समेंट के लिए टैक्स छूट को हटाने के बदले में फिर से लाया गया था। डिडक्शन की सीमा को बाद में वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया था। 

पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है उससे वर्तमान समय में सैलरी वालों के खर्चों को देखते हुए डिडक्शन की रकम काफी कम है। वर्तमान में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में वृद्धि पर विचार करने की आवश्यकता है। इसे 50,000 रुपए से कम से कम 75,000 रुपए तक बढ़ाए जाने की जरूरत है। अगर ऐसा होता है तो यह लोगों को इन मुश्किल वक्त में कुछ वित्तीय मदद प्रदान करेगा। 

भारत में अभी तक ऐसी कोई डिडक्शन/छूट शुरू नहीं की गई है। इसलिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने से लोगों को अपना जीवन यापन चलाने में कुछ सहूलियत जरूर मिलेगी। नोट के मुताबिक, इसके अलावा इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 115BAC के तहत रियायती वैकल्पिक व्यवस्था (concessional optional regime) का विकल्प चुनने वाले करदाताओं को भी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ उपलब्ध कराया जा सकता है।  

स्टैंडर्ड डिडक्शन सैलरी और पेंशनभोगियों के लिए कुल सैलरी से मिलने वाला डिडक्शन है। यह डिडक्शन व्यक्ति की टैक्स की सैलरी वाले हिस्से ( taxable salary income) को कम करती है। इस प्रकार उसकी टैक्स लायबिलिटी भी कम हो जाती है। बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए बचत किसी भी व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्य होता है।  

आम तौर पर इनकम का एक हिस्सा ऐसी बचत के लिए तय भी कर दिया जाता है। इस तरह के डिडक्शन में कई अन्य टैक्स सेविंग निवेश या खर्च शामिल हैं। जैसे कि कर्मचारी भविष्य निधि, PPF, होम लोन का मूलधन पेमेंट, बच्चों की ट्यूशन फीस, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट आदि आते हैं। 

इस संबंध में एजुकेशन सेविंग के लिए न्यूनतम 1.5 लाख रुपए का अलग से डिडक्शन एक स्वागत योग्य कदम होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह के फंड का कोई दुरुपयोग न हो, जब बच्चे को उच्च शिक्षा की जरूरत पड़े तो अकाउंट को उस पर अर्जित ब्याज सहित सीधे शैक्षणिक संस्थानों को भेजा जा सकता है।  

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