अब देश की ज्यादा आबादी पर होगा बीमा कंपनियों का फोकस, बीमारी आधारित पॉलिसी लांच करने की इरडाई की अपील

मुंबई– बीमा नियामक आईआरडीएआई ने स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से कहा है कि वे केवल स्वस्थ व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आबादी के एक बड़े वर्ग को कवर करने के लिए रोग-विशिष्ट नीतियां (disease-specific policies) लेकर आएं। ऐसा न हो कि कोई बीमारी ऐसी हो जिसकी पॉलिसी न हो। आईआरडीएआई ने यह बात कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए कही है। इससे माना जा रहा है कि आनेवाले समय में देश की ज्यादा से ज्यादा आबादी तक बीमा कंपनियां पहुंचने के लिए इस तरह की पॉलिसी ला सकती हैं।  

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित वर्चुअल हेल्थ इंश्योरेंस कांफ्रेंस में भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडाई) के नॉन लाइफ मेंबर टीएल अलामेलू ने एक ऐसा तंत्र स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया, जहां बीमा पॉलिसी वाले व्यक्ति को डायग्नोस्टिक सेंटर और फार्मेसी में भी लाभ मिले। इस कांफ्रेंस का सीधा मकसद यही था कि देश में हेल्थ या बीमारियों से संबंधित बीमा पॉलिसी पर्याप्त हों।  

स्वास्थ्य बीमा पर अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा की स्थिति की तुलना में सभी एक्सक्लूशन्स के साथ न्यूनतम स्वास्थ्य बीमा होना बेहतर है। उनके अनुसार, स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में देखी गई मौजूदा वृद्धि तेजी से आगे बढ़ने की स्थिति में थी। इरडाई के सदस्य ने कहा कि कि भारत में जनरल बीमा क्षेत्र में स्वास्थ्य बीमा सेगमेंट वर्ष के अंत तक मोटर बीमा सेगमेंट से आगे निकल सकता है।  

कोविड-19 पॉलिसियों से संबंधित शिकायतों की कम संख्या के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की सराहना करते हुए अलामेलू ने कहा कि यह ग्राहकों का विश्वास हासिल करने में मदद करता है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को अन्य सभी प्रकार की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के लिए ऐसे ही शिकायत तंत्र (grievances mechanism) का विस्तार करने की सलाह उन्होंने दी। 

आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस के चीफ एग्जीक्यूटिव मयंक बंथवाल ने आउट पेशेंट विभाग (ओपीडी) खर्चों को कवर करने के लिए स्वास्थ्य बीमा लाभ का दायरा बढ़ाने का पक्ष लिया। उनके अनुसार, ओपीडी का खर्च कुल स्वास्थ्य देखभाल खर्च का 60% से अधिक होता है और इस खर्च को अभी भी काफी हद तक बीमा पॉलिसियाँ कवर नहीं कर रही हैं। 

बता दें कि कोरोना में ऐसे तमाम मामले सामने आए हैं जिनमें बीमा कंपनियां यह कहती हैं कि ये चीज पॉलिसी के तहत कवर नहीं है। जबकि अस्पताल तमाम चीजें पॉलिसी में कवर के साथ क्लेम कर रहे हैं। इसलिए इरडाई अब चाहता है कि हर बीमारियों की एक अलग पॉलिसी हो ताकि लोगों को इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। बता दें कि देश में स्वास्थ्य सेवा पर काफी बड़ा खर्च आता है और हर कोई इस खर्च को वहन करने में मुश्किल में आ जाता है।  

कोरोना में ऐसे कई मामले आए हैं जहां पर्याप्त पैसा न होने पर अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करने से मना कर दिया। हेल्थ इंश्योरेंस हालांकि अभी भी भारत में काफी कम लेवल पर है, पर जिस तरह से कोरोना फैला है, उससे हर किसी को हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर चिंता हो रही है। हाल में जो हेल्थ पॉलिसी कोरोना के लिए लांच की गई है, उसका प्रीमियम अन्य पॉलिसी की तुलना में ज्यादा तो है, पर यह आपका बहुत बड़ा खर्चा अस्पताल का बचा देता है।  

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