देश की 17 वीं सबसे अमीर फाल्गुनी नायर, स्टार्टअप में नंबर वन अमीर हैं
मुंबई- नायका की फाल्गुनी नायर देश के अमीर बिजनेस घराने में 17 वें नंबर पर आ गई हैं। स्टार्टअप में वे पहले नंबर की सबसे अमीर महिला हैं। उनकी कुल संपत्ति 7.48 अरब डॉलर है। कंपनी में फाल्गुनी की हिस्सेदारी 53.5% है। नायका के शेयर्स की बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग हुई। लिस्टिंग 2 हजार रुपए पर हुई। हालांकि दिन में शेयर 2200 रुपए पर चला गया। IPO के प्राइस की तुलना में निवेशकों को दोगुना का मुनाफा हुआ। IPO 1,125 रुपए प्रति शेयर पर आया था।
नायका का कल मार्केट कैप आज 99 हजार करोड़ रुपए हो गया है। कल यह एक लाख करोड़ से ज्यादा था। इस हिसाब से उनकी संपत्ति करीबन 52 हजार करोड़ रुपए है। देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी 96.3 अरब डॉलर के साथ पहले नंबर पर हैं। दूसरे पर अडाणी ग्रुप के गौतम अडाणी हैं। उनकी संपत्ति 84 अरब डॉलर है। फाल्गुनी नायर और उनकी फैमिली की संपत्ति 7.4 अरब डॉलर है। उनसे पहले वाड़िया समूह के नुस्ली वाड़िया और राहुल बजाज हैं जिनकी संपत्ति 8.7 अरब डॉलर है।
स्टार्टअप में पेटीएम के विजय शेखर शर्मा की संपत्ति फाल्गुनी की तुलना में आधी है। पेटीएम में विजय शेखर शर्मा की हिस्सेदारी केवल 15% है। इस आधार पर वे 3 अरब डॉलर के मालिक हैं। पेटीएम अगले हफ्ते स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होगी। उस समय उसकी वैल्यू 1.48 लाख करोड़ रुपए होगी। इसका 15% मतलब करीबन 21 हजार करोड़ रुपए होगा।
स्टार्टअप में तीसरे नंबर पर जोमैटो के दिपींदर गोयल हैं। उनकी संपत्ति 65 करोड़ डॉलर है। उनकी जोमैटो में 5.5% हिस्सेदारी है। जोमैटो का मार्केट कैप 1.06 लाख करोड़ रुपए है। चौथे नंबर पर पॉलिसी बाजार के याशीष दाहिया हैं। उनकी संपत्ति 26.2 करोड़ डॉलर है। पॉलिसी बाजार इसी हफ्ते लिस्ट होगी।
नायका में 47% महिला कर्मचारी हैं। मार्केट कैप के लिहाज से नायका देश की 53 वीं सबसे मूल्यवान कंपनी है। 50 वें नंबर पर डाबर इंडिया है जिसका मार्केट कैप 1.07 लाख करोड़ रुपए है। 51 वें पर जोमैटो 1.06 लाख करोड़ रुपए के साथ है। 52 वें नंबर पर सीमेंट कंपनी है और 53 वें पर नायका है। कोल इंडिया, एसबीआई कार्ड, हिंडालको, गोदरेज कंज्यूमर और ब्रिटानिया जैसी कंपनियां नायका से पीछे हैं। हालांकि कंपनी का शेयर महंगे वैल्यूएशन पर है। यह कंपनी उन गिने चुने स्टार्टअप में है, जो फायदा कमाती है। जबकि जोमैटो, पेटीएम, पॉलिसीबाजार जैसी कंपनियां लगातार घाटा देती हैं।