बड़ी तेल कंपनियों ने घटाई खाने के तेल की कीमतें, 4-7 रुपए प्रति लीटर की कमी

मुंबई- दिवाली से ठीक एक दिन पहले खाने के तेल की कीमतों में कमी की गई है। देश की बड़ी कंपनियों ने तेल की कीमतों में 4-7 रुपए प्रति लीटर की कमी की है। अडाणी विल्मर और रुचि सोया ने यह फैसला किया है कि वे खाने के तेल की कीमतों में 4-7 रुपए की कमी की हैं। इसके साथ ही अन्य कंपनियां भी खाने के तेल की कीमतें आने वाले दिनों में घटा सकती हैं।  

सरकार ने खाने के तेल को सस्ता करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में कमी की थी। हालांकि उसके बावजूद भी खाने के तेल की कीमतें बढ़ती ही गईं। हालांकि कीमतें थोक भाव पर घटाई गई हैं। इसका कितना असर रिटेल की कीमतों पर होगा, इसका फैसला नहीं किया गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने यह फैसला किया था कि उसके सदस्य खाने के तेल की कीमतों को सस्ता करेंगे। इसी के तहत यह फैसला किया गया है।  

इसने कहा कि उसके अन्य सदस्य जैसे जेमिनी एडिबल ऑयल और फैट्स इंडिया, मोदी न्यूट्रल्स, गोकुल रिफॉयल, विजय सॉल्वेक्स, गोकुल एग्रो और एनके प्रोटींस भी अपने खाने के तेल की कीमतों में कमी कर दिए हैं। इन कंपनियों ने होलसेल की कीमतों में SEA की अपील पर कमी की है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में तेल की कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि प्रति लीटर 4-7 रुपए की कमी से ग्राहकों को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा। फिलहाल खाने के तेल की कीमतें अलग-अलग ब्रांड्स की 220 से 270 रुपए लीटर बिक रही हैं।  

SEA ने कहा कि थोक भाव में प्रति टिन 4 से 7 हजार रुपए की कमी की गई है। यानी प्रति लीटर यह 4 से 7 रुपए कम होगा। यहां से रिटेल तक जाने का मतलब यह है कि वहां पर प्रति लीटर 3 से 5 रुपए तक ही कम होगा। भारत खाने के तेल का करीबन 60% हिस्सा दूसरे देशों से मंगाता है। ग्लोबल लेवल पर अगर खाने के तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो उसका सीधा असर देश में खाने के तेल पर पड़ता है। हाल के समय विदेशों में खाने के तेल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, जिसका असर देश में भी खाने के तेल की कीमतों पर दिखा है।  

इस समय मूंगफली तेल 185 रुपए लीटर बिक रहा है जबकि सरसों का तेल 225 रुपए लीटर बिक रहा है। सूर्यमुखी तेल की कीमत 170 रुपए लीटर है। SEA ने कहा कि 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच पामोलीन, रिफाइंड सोया और रिफाइंड सूरजमुखी के तेल की थोक कीमतें 7 से 11% घटी हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी प्रयासों की वजह से 31 अक्टूबर को पाम तेल की औसत रिटेल कीमततेलों की घट गई थी। 

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