बिक गई एअर इंडिया, टाटा ग्रुप ने ज्यादा बोली लगाकर खरीदा

मुंबई- एअर इंडिया अब टाटा ग्रुप की हो गई है। सरकार ने टाटा संस की बोली को स्वीकार कर लिया है। सरकार इसमें पूरी 100% हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर मंगाई थी। एअर इंडिया की दूसरी कंपनी एअर इंडिया सैट्स (AISATS) में सरकार इसी के साथ 50% हिस्सेदारी बेचेगी।

एअर इंडिया को सबसे पहले बेचने का फैसला साल 2000 में किया गया था। यह वह साल था, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने मुंबई के सेंटॉर होटल सहित कई कंपनियों का विनिवेश किया था। उस समय अरुण शौरी विनिवेश मंत्री थे। 27 मई 2000 को सरकार ने एअर इंडिया में 40% हिस्सा बेचने का फैसला किया था।

इसके अलावा सरकार ने 10% हिस्सा कर्मचारियों को शेयर देने के रूप में और 10% घरेलू वित्तीय संस्थानों को देने का फैसला किया था। इसके बाद सरकार की हिस्सेदारी एअर इंडिया में घटकर 40% रह जाती। हालांकि तब से पिछले 21 साल से एअर इंडिया को बेचने की कई बार कोशिश हुई। पर हर बार किसी न किसी कारण से यह मामला अटक गया।

एअर इंडिया के लिए जो कमिटी बनी है, उसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, कॉमर्स मंत्री पियूष गोयल और एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। सूत्रों के अनुसार, एअर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था।

टाटा ग्रुप ने स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह से करीबन 3 हजार करोड़ रुपए ज्यादा की बोली लगाई थी। इस तरह करीब 68 साल बाद एअर इंडिया घर वापसी कर गई है। एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख 15 सितंबर थी। उसके बाद से ही यह अनुमान था कि टाटा ग्रुप एअर इंडिया को खरीद सकता है।

एअर इंडिया को 1932 में टाटा ग्रुप ने ही शुरू किया था। टाटा समूह के जे.आर.डी. टाटा इसके फाउंडर थे। वे खुद पायलट थे। तब इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया। 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी।

भारी-भरकम कर्ज से दबी एअर इंडिया को कई सालों से बेचने की योजना में सरकार फेल रही। सरकार ने 2018 में 76% हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली मंगाई थी। हालांकि उस समय सरकार मैनेजमेंट कंट्रोल अपने पास रखने की बात कही थी। जब इसमें किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई तो सरकार ने मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ इसे 100% बेचने का फैसला किया।

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