टाटा, रिलायंस, अमेजन, पेटीएम, फोन पे पेमेंट के सेक्टर में होंगी आमने-सामने

मुंबई- कई फिनटेक कंपनियां भारत के पेमेंट सेक्टर में उतरने की योजना बना रही हैं। अब तक 30 कंपनियों ने पेमेंट के लाइसेंस के लिए RBI के पास आवेदन किया है। इसमें टाटा, रिलायंस, अमेजन, पेटीएम, फोन पे जैसी कंपनियां आमने-सामने होंगी।  

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पेमेंट एग्रीगेटर्स (PA) को लाइसेंस दे रहा है। यह लाइसेंस रिजर्व बैंक की नॉन बैंक पेमेंट प्रोवाइडर्स रेगुलेटरी सिस्टम के तहत दिया जा रहा है। रिजर्व बैंक जल्द ही इस सिस्टम को लेकर आएगा।  

जिन कंपनियों ने RBI के पास लाइसेंस के लिए प्रपोजल जमा कराया है, उनमें टाटा ग्रुप, अमेजन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, डच पेमेंट्स स्टार्टअप एडयेन, पेटीएम, भारतपे, फोनपे, सीसी एवेन्यू, रेजरपे, क्रेड, ज़ोमैटो, पेयू, वर्ल्डलाइन, पाइन लैब्स और कैम्सपे शामिल हैं। कम से 30 कंपनियों ने अपना प्रस्ताव जमा किया है। मौजूदा और नई गैर-बैंक कंपनियों 30 सितंबर से पहले आवेदन करना है। इससे यह माना जा रहा है कि सितंबर तक आवेदन करने वाली कंपनियों की संख्या और बढ़ सकती है।   

RBI ने PA के नए पेमेंट एग्रीगेटर या पेमेंट गेटवे के संबंध में गाइडलाइंस मार्च 2020 में जारी किया था। इसमें यह जरूरी है कि RBI जिन कंपनियों को मंजूरी देगा, वही कंपनियां व्यापारियों को पेमेंट सर्विस कर सकती हैं। हालांकि बैंकों के लिए किसी अलग अप्रूवल की आवश्यकता नहीं है। फर्म को ‘फिट और उचित’ नियमों को भी पूरा करना चाहिए। साथ ही पेमेंट की सुरक्षा ग्लोबल सुरक्षा के आधार पर होनी चाहिए।  

कई प्रमुख ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस, ग्लोबल पेमेंट फर्म्स और घरेलू कंज्यूमर इंटरनेट फर्म्स भी आवेदन करने के लिए लाइन में हैं। RBI इन प्रस्तावों की स्क्रूटिनी में ‘फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट’ का फॉर्मूला अपनाएगा। इसका मतलब यह है कि इसकी जांच प्रक्रिया में कुछ महीने लग सकते हैं। रेगुलेटर कंपनियों को अपने संचालन को तभी तक जारी रखने की मंजूरी भी देगा जब तक कि वे संबंधित प्रस्तावों के बारे में अंतिम सूचना नहीं देते।  

नई PA गाइडलाइंस का मकसद भारत में इंटरनेट और ई-कॉमर्स कंपनियों के पेमेंट ऑपरेशंस पर बेहतर सुपरवाइजरी कंट्रोल होना भी हो सकता है। पेमेंट एग्रीगेटर की मंजूरी पाने के लिए कंपनियों को पहले साल में कम से कम 15 करोड़ रुपए की नेटवर्थ की जरूरत होगी। दूसरे साल में यह 25 करोड़ रुपए होनी चाहिए।  

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