त्यौहारी सीजन में सोना खरीदन में आएगी दिक्कत, जानिए सरकार के नए नियम का असर क्या होगा
मुंबई- गोल्ड ज्वैलरी में धोखाधड़ी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने हॉलमार्किंग को 16 जून से ही अनिवार्य कर दिया है। हालांकि अगले महीने सितंबर से बिना हॉलमार्किंग वाले गहनों की बिक्री पर ज्वैलर्स को जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। हॉलमार्किंग के चलते अधिकतर ज्वैलर्स का मानना है कि फेस्टिव सीजन में इन नियमों के चलते मांग के मुताबिक आपूर्ति होना संभव नहीं है।इसके अलावा छोटे ज्वैलर्स की चिंता यह है कि इससे उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
चीन के बाद दुनिया में सबसे अधिक सोने की खपत भारत में होती है। भारत में शादी-विवाह के अतिरिक्त फेस्टिव सीजन में भी सोना खरीदने की परंपरा रही है। हालांकि इस सीजन में अब ज्वैलर्स को हॉलमार्किंग के नियमों के मुताबिक डिमांड के मुताबिक सप्लाई न पूरा कर पाने का डर सता रहा है। गोल्ड हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता का प्रमाणपत्र है और अब तक यह अनिवार्य नहीं था।
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2016 की धारा 29 के तहत हॉलमार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर एक साल की जेल की सजा हो सकती है या न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। जुर्माने की रकम बेचे गए गहनों की कीमत की पांच गुना से कम नहीं होनी चाहिए. हालांकि इस महीने अगस्त के अंत तक कोई पेनाल्टी नहीं लगेगी। यह समय गोल्ड ज्वैलरी निर्माताओं, वितरकों और डीलरों के लिए हॉलमार्किंग की पुख्ता तैयारी के लिए दिया गया है।
अगले महीने से बिना हॉलमार्किंग के गहने बेचने पर ज्वैलर्स को जुर्माना भरना पड़ सकता है और हॉलमार्किंग में देरी हो रही है। ऐसे में अगले महीने शुरू हो रहे पीक फेस्टिवल सीजन के दौरान मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो पाएगी। सबसे बड़ी चुनौती हॉलमार्किंग सेंटर्स की कमी को लेकर है। देश में पर्याप्त संख्या में हॉलमार्किंग सेंटर्स नहीं हैं और फेस्टिव सीजन में भारी डिमांड के चलते इसमें लंबा समय लग जा रहा है।
हॉलमार्किंग के नए नियमों से सबसे अधिक दिक्कत छोटे दुकानदारों को होगी क्योंकि हॉलमार्किंग के लिए कम से कम 40 पीसेज ले जाने हैं और छोटे दुकानदार के पास एक साथ इतने ऑर्डर होने जरूरी नहीं है। इसके अलावा छोटे शहरों में हॉलमार्किंग सेंटर्स नहीं है तो दूसरे शहर में ज्वैलर्स को जाना पड़ेगा जिससे उनका कारोबार प्रभावित होगा। इस समय करीब 6 लाख पीस हॉलमार्किंग के लिए पेंडिंग हैं तो ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि फेस्टिव डिमांड को पूरा करने में कितनी दिक्कतें आएंगी।
जब भी किसी ज्वैलर्स के पास जाएं तो यह देखें कि उसका BIS (Bureau of Indian Standards) रजिस्ट्रेशन है या नहीं। अलग-अलग कैरेट के हिसाब से हॉलमार्किंग का नंबर अलग-अलग होता है। जैसे 22 कैरेट का हॉलमार्किंग नंबर 22k916 है। ज्वैलर से बिल जरूर लें। BIS गाइडलाइंस के मुताबिक अगर ज्वैलर्स जरूरी शर्तों को पूरा नहीं करता है तो उसे शुद्धता की कमी के बराबर कीमत की दोगुनी कीमत और टेस्टिंग चार्ज देना होगा।