3.61 लाख गांव में इंटरनेट पहुंचाने के लिए सरकार देगी 19041 करोड़ रुपए

मुंबई- 3.61 लाख गांवों में इंटरनेट पहुंचाने पर सरकार 19,041 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके लिए 40 दिग्गज कंपनियां मैदान में आमने-सामने आ गई हैं। सरकार के भारतनेट प्रोग्राम के लिए इन कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है।  

भारतनेट को 9 जोन में बांटा गया है। इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए 1,206 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के लिए 1,078 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। असम के लिए सबसे कम 325 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।    

इन कंपनियों में भारती एयरटेल, रिलायंस इंफ्राटेल, एसटीएल, सिस्को, लार्सन एंड टुब्रो और ह्यूजेश कम्युनिकेशन प्रमुख हैं। सरकार भारतनेट के जरिए गावों में ब्राडबैंड इंटरनेट पहुंचा रही है। यह भारतनेट का दूसरा चरण होगा। अगले साल अगस्त तक 3.61 लाख गांवों में इस सेवा को पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। ये गांव देश के 16 राज्यों में हैं। 

कोरोना के समय में देश में डिजिटल की बढ़ रही जरूरतों को देखते हुए प्राइवेट कंपनियां इसमें दिलचस्पी दिखा रही हैं। इसमें प्रमुख कंपनियों के अलावा वोडाफोन ग्रुप, इंडस टॉवर्स, सरकारी कंपनी रेलटेल, पावर ग्रिड और तेजस नेटवर्क भी हैं। तेजस में टाटा संस की बड़ी हिस्सेदारी है। गांवों के ग्राहक इस समय हाई स्पीड वाले इंटरनेट की जरूरत महसूस कर रहे हैं। उन्हें ऑन लाइन एजुकेशन, हेल्थ सेवाओं और ऑन लाइन शॉपिंग के लिए हाई स्पीड इंटरनेट की जरूरत है।  

गांवों में अभी ब्राडबैंड की पहुंच काफी कम है। यहां पर फिलहाल ज्यादातर मोबाइल नेट के जरिए ही काम होते हैं। इसमें ग्राहकों को काफी कम स्पीड मिलती है। ग्राहक अब 4 जी के बढ़ते दायरे के कारण ब्राडबैंड पर फोकस कर रहे हैं। कंपनियों को लगता है कि ग्राहकों की इन जरूरतों से उनके निवेश पर उन्हें अच्छा खासा फायदा मिल सकता है।  

भारतनेट के पहले चरण में सरकार ने 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा था। इसके लिए किसी भी प्राइवेट कंपनी की मदद नहीं ली गई थी। गांवों में तेजी से बन रहे कई लेन के हाइवे से कंपनियों का फोकस बढ़ रहा है। क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा रहेगी तो उन्हें काम करने में आसानी होगी।  

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