15 लाख टन चीनी निर्यात को सरकार की मंजूरी, न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ेगा

मुंबई- अक्तूबर से शुरू होने वाले 2025-26 विपणन वर्ष के लिए सरकार ने 15 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है। इसके साथ ही, चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को बढ़ाने के लिए उद्योग की मांग पर केंद्र विचार कर रहा है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, फरवरी, 2019 से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित बना हुआ है।

चीनी उद्योग की संस्था इस्मा उत्पादन लागत में वृद्धि को देखते हुए कीमत को बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहा है। जोशी ने कहा, 2024-25 सीजन में 10 लाख टन निर्यात की अनुमति देने के बाद कीमतें स्थिर थीं। मंत्रालय चीनी की कीमतों पर निर्यात के प्रभाव का आकलन करेगा। फिर न्यूनतम विक्रय मूल्य बढ़ाने की मांग पर विचार करेगा। 2024-25 में लगभग 8 लाख टन निर्यात किया गया। आवंटन 10 लाख टन का था।

चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि की मांग करते हुए भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) ने तर्क दिया है कि गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल से 29 फीसदी बढ़कर 355 रुपये प्रति क्विंटल (2025-26) हो गया है। इससे चीनी की उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है, जो अब 40.24 रुपये प्रति किलोग्राम अनुमानित है। इस्मा ने सरकार को विपणन वर्ष 2025-26 के लिए चीनी के एमएसपी को कम से कम 40.2 रुपये प्रति किलोग्राम तक संशोधित करने का सुझाव दिया था। यह भी सिफारिश की कि सरकार भविष्य में होने वाली विकृतियों को रोकने और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए एफआरपी-एमएसपी लिंकेज तंत्र को संस्थागत बनाए।

गेहूं की खेती का रकबा रिकॉर्ड स्तर पर होने की उम्मीद
भारतीय किसान गेहूं की खेती का रकबा लगभग 5 फीसदी बढ़ाकर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाने वाले हैं। ऐसा ज्यादा पैदावार और अक्तूबर में हुई बेमौसम बारिश के कारण होगा। बारिश से मिट्टी की नमी में सुधार हुआ है और वर्षा आधारित फसलों से अनाज की ओर रुझान बढ़ा है। अधिक बुआई से उत्पादन बढ़ाने, स्थानीय कीमतों को कम करने और आटे के सीमित निर्यात की अनुमति देने में मदद मिलने की उम्मीद है।

औसत से 161 फीसदी अधिक बारिश
प्रमुख गेहूं उत्पादक उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अक्तूबर में औसत से 161 फीसदी अधिक बारिश हुई। इससे कुल 49 फीसदी अतिरिक्त बारिश हुई। 14 नवंबर तक 66.2 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हो चुकी थी, जो एक साल पहले की तुलना में 17 फीसदी अधिक है। हरियाणा और पंजाब जैसे प्रमुख उत्तरी राज्यों में गेहूं का रकबा स्थिर रहने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान चना जैसी कम पानी वाली फसलों से गेहूं की ओर रुख कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *