कमाई के लिहाज से यह चार सेक्टर अभी भी हैं बेहतर, जानिए कौन-कौन से हैं 

मुंबई- भारतीय शेयर बाजार चालू वित्त वर्ष में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। सेंसेक्स रिकॉर्ड 67 हजार के पार जाकर शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुआ। हालांकि इसके कई कारण हैं, लेकिन जो प्रमुख कारण हैं, वह एक तो मुनाफा वसूली और दूसरा आईटी सेक्टर के आगे खराब प्रदर्शन की उम्मीद रही है। वैसे बाजार की इस तेजी में भी ऐसे चार सेक्टर हैं, जो बेहतरीन प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं। इन पांच सेक्टर्स में एफएमसीजी, फार्मा, टेक्सटाइल्स और बैंकिंग हैं जो रक्षात्मक माने जाते हैं और एक औसत रिटर्न भी देते रहते हैं। 

बैंकिंग क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन जारी रखा है। एसएंडपी ने वित्त वर्ष 2024 से 2026 तक भारत की जीडीपी सालाना 6% से 7% तक बढ़ने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष में सरकारी और निजी बैंकों ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का शुद्ध लाभ कमाया। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्होंने जमकर कर्ज दिया।  

बढ़ती ब्याज दर के कारण कर्ज दर में वृद्धि हुई। इनके बुरे फंसे कर्जों (एनपीए) में भी सुधार हुआ। बैंकों का एनपीए 11.5 फीसदी से कम होकर एक दशक के निचले स्तर 3.5 फीसदी पर आ गया है। इसमें और सुधार की उम्मीद है। मजबूत कॉरपोरेट बैलेंसशीट के साथ कर्ज की मांग में वृद्धि जारी रहेगी। विश्व अर्थव्यवस्था में महंगाई ज्यादा होने से ब्याज दरें स्थिर रहेंगी। ऐसे में इनके शेयर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। 

ऊंची इनपुट कीमतों की चिंताओं के कारण वॉल्यूम प्रभावित हुआ। एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियां लगातार कीमतों में बढ़ोतरी कर रही हैं। डिजिटलीकरण की ओर रुझान बढ़ रहा है। ई-कॉमर्स में एफएमसीजी सेक्टर ने वित्त वर्ष 2023 में दोहरे अंक की वृद्धि दर्ज की। महामारी के बाद ई-कॉमर्स बिक्री अब 9 से 10 फीसदी है, जो 2016 में 1 फीसदी से कम थी।  

नील्सन के सर्वेक्षण के अनुसार, एफएमसीजी क्षेत्र ने 2023 की पहली तिमाही में 10.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। ग्रामीण भारत में भी पुनरुद्धार के संकेत दिख रहे हैं। देश के लगभग सभी हिस्सों में सामान्य मानसून के कारण प्रमुख कमोडिटी की कीमतों और खुदरा महंगाई के स्तर में कमी के साथ आगे धीरे-धीरे सुधार होगा। 

कपड़ा उद्योग भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला सेक्टर है। यह भारत की जीडीपी में 2 फीसदी और मूल्य के संदर्भ में उत्पादन में 7 फीसदी योगदान देता है। भारतीय कपड़ा उद्योग की मांग घरेलू और निर्यात दोनों से प्रेरित है। भारतीय कपड़ा उद्योग अपने खोजपरक उत्पाद की पेशकश के साथ दुनिया भर में लगभग 5 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रहा है।  

हालाँकि, वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में यह 16 फीसदी से 18 फीसदी तक घट गया है। अमेरिका और यूरोपीय देशों में मांग में मंदी देखी गई है। सरकार ने आयात लागत को कम करने के लिए कपड़ा उद्योग के लिए पीएलआई योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए मजबूत बनाना है। भारत में कपड़ा बाजार 2029 तक 209 अरब डॉलर से अधिक का होने की उम्मीद है। 

फार्मा उद्योग वॉल्यूम में विश्व स्तर पर तीसरा और मूल्य में 14वां सबसे बड़ा उद्योग है। यह वैश्विक स्तर पर जेनरिक दवाओं और किफायती टीकों के लिए जाना जाता है। देश की जीडीपी में लगभग 1.72 फीसदी का योगदान देता है। भारत शीर्ष 10 दवा निर्यातक देशों में से एक है। दवाओं की कम लागत और उच्च गुणवत्ता के कारण भारत को विश्व की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। विश्व स्तर पर भारतीय फार्मा उद्योग का मूल्य 42 अरब डॉलर है। भारत में दवा खर्च पांच वर्षों में 9 से 12 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। 

मास्टर कैपिटल सर्विसेस के उपाध्यक्ष अरविंद सिंह नंदा कहते हैं कि बाजार में लंबा नजरिया हो तो कभी भी निवेश कर सकते हैं। इस समय बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, फिर भी धीरे-धीरे निवेश करते रहना चाहिए। कम से कम 10 साल तक के लिए निवेश करें।  

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