टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट, अब कीमत 100 रुपये किलो के पार हुई

मुंबी- टमाटर ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। इसकी वजह टमाटर उत्पादक इलाकों में भारी बारिश से इसकी फसल को नुकसान होना मानी जा रही है। टमाटर कारोबारी और उत्पादकों की मानें तो फिलहाल इसकी कीमतों से राहत मिलना मुश्किल है। सस्ते टमाटर के लिए ग्राहकों को कम से कम एक महीने का इंतजार करना पड़ सकता है।

दिल्ली के खुदरा बाजारों में टमाटर 80 से 100 रुपये किलो बिक रहा है। महीने भर पहले टमाटर के खुदरा भाव 40 से 60 रुपये किलो थे। देश भर के खुदरा बाजारों में टमाटर के अधिकतम भाव 120 रुपये किलो तक हैं, जबकि इसकी औसत कीमत 50.88 रुपये किलो है। महीने भर पहले यह कीमत 39.3 रुपये किलो थी। इस तरह महीने भर में टमाटर के औसत खुदरा भाव करीब 27 फीसदी चढ़ चुके हैं। मध्य प्रदेश में 38.7 रुपये से बढ़कर 52.34 रुपये और उत्तर प्रदेश में 38.78 रुपये से बढ़कर 63.5 रुपये किलो हो चुके हैं।

महीने भर में मंडियों में टमाटर की थोक कीमतों में अच्छी खासी तेजी देखने को मिली है। महाराष्ट्र की नारायणगांव मंडी में टमाटर के थोक भाव बीते एक माह के दौरान 750 से 2,500 रुपये से बढ़कर 2,500 से 5,000 रुपये क्विंटल और दिल्ली की आजादपुर मंडी में ये भाव 600 से 3,600 रुपये से बढ़कर 1,200 से 5,000 रुपये क्विंटल हो चुके हैं। इस दौरान नारायणगांव मंडी में टमाटर की मॉडल थोक कीमत 2,000 रुपये से बढ़कर 4,000 रुपये क्विंटल हो गई है। मॉडल कीमत वह होती है, जिस पर किसी भी जिंस की अधिकतम बिक्री होती है।

इस साल टमाटर उत्पादक इलाकों में जून-जुलाई महीने में खूब बारिश हुई है। जिससे इसकी फसल को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में इस समय आने वाले टमाटर की फसल 30 से 40 फीसदी कम है। यही कारण है कि टमाटर के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। बारिश से टमाटर की फसल को नुकसान के कारण मंडियों में टमाटर की आवक कम हो रही है। इससे टमाटर के भाव बढ़े हैं। मंडियों में जून में 4.55 लाख टन टमाटर की आवक हुई, जो जुलाई में घटकर 4.16 लाख टन रह गई। जुलाई में कर्नाटक में टमाटर की आवक 35 फीसदी गिरकर करीब 82 हजार टन रह गई। महाराष्ट्र में भी आवक में कमी दर्ज की गई।

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