डिस्काउंट कम होने से भारतीय सरकारी कंपनियां रूस से नहीं खरीद रहीं तेल

मुंबई-डिस्काउंट कम होने के कारण भारतीय सरकारी तेल रिफाइनरियों ने पिछले हफ्ते रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। भारत, समुद्री रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। रूस यूक्रेन में करीब चार साल से युद्ध लड़ रहा है। ऐसे में भारत रूस के लिए राजस्व कमाने का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और मैंगलोर रिफाइनरी ने पिछले एक सप्ताह में रूसी कच्चे तेल की खरीद नहीं की है। चारों रिफाइनरियां नियमित रूप से रूसी तेल की खरीद करती हैं। अब ये हाजिर बाजारों की ओर रुख कर रही हैं, जिनमें ज्यादातर मध्य पूर्वी ग्रेड जैसे अबू धाबी का मुरबन क्रूड और पश्चिम अफ्रीकी तेल शामिल हैं।

निजी रिफाइनरी रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी का रूस के साथ वार्षिक सौदा होता है और वे भारत में सबसे बड़े रूसी तेल खरीदार हैं। 14 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर रूस यूक्रेन के साथ कोई बड़ा शांति समझौता नहीं करता है तो रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा। भारतीय रिफाइनरियां रूसी कच्चे तेल से हाथ खींच रही हैं, क्योंकि छूट 2022 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है। ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर एक अगस्त से 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इस पर बातचीत जारी है। उन्होंने रूसी हथियार और तेल खरीदने पर संभावित दंड की भी चेतावनी दी।

रूस भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता है, जो भारत की कुल आपूर्ति का लगभग 35% प्रदान करता है। निजी रिफाइनर 2025 की पहली छमाही में भारत के औसत 18 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी तेल आयात का लगभग 60 फीसदी हिस्सा खरीदे हैं। सरकारी कंपनियों ने बाकी तेल की खरीद की है।

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