भारत अपनी बात पर रहा कायम, ब्रिटेन को डेयरी उत्पादों पर नहीं दी रियायत

मुंबई- भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए दोनों देशों के रिश्तों में बड़ा आर्थिक बदलाव लाने वाला है। इसका सबसे अधिक फायदा भारतीय किसानों को मिलने की उम्मीद है। सबसे बड़ी बात भारत ने अपने घरेलू किसानों के नुकसान को ध्यान में रखते हुए यूके को शुल्क में डेयरी जैसे उत्पादों पर कोई रियायत नहीं बख्शी है।

तीन साल की बातचीत के बाद हुए इस समझौते से भारतीय उत्पादों को सभी क्षेत्रों खासकर कृषि में यूके के बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी। भारत वैश्विक रूप से 36.63 अरब डॉलर का कृषि निर्यात करता है। ब्रिटेन 37.52 अरब डॉलर का कृषि आयात करता है लेकिन ब्रिटेन भारत से महज 811 करोड़ डॉलर का ही कृषि आयात करता है। अब यह स्थिति बदलने की उम्मीद है।

कृषि के अलावा खाद्य प्रसंस्करण, रसायन, दवाइयां, वस्त्र, इंजीनियरिंग वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और समुद्री उत्पाद ये सभी क्षेत्र इस समझौते से लाभ उठाएंगे। समझौते में श्रम प्रधान क्षेत्रों को भी बड़ी राहत दी गई है। समुद्री उत्पादों पर 20 फीसदी, वस्त्रों पर 12 फीसदी, रसायनों पर आठ फीसदी और धातुओं पर 10 फीसदी तक का शुल्क अब नहीं लगेगा।

यह समझौता यूके यानी यूनाइटेड किंगडम के प्रीमियम बाजारों को भारत के लिए खोल देगा। यह एफटीए भारतीय किसानों को जर्मनी और नीदरलैंड जैसे यूरोपीय देशों के निर्यातकों को मिलने वाले फायदों के समान या उससे भी बेहतर फायदा देगा। इससे भारतीय मसाले और प्रसंस्कृत उत्पाद बगैर शुल्क के यूके पहुंचेंगे।

आने वाले तीन साल में ब्रिटेन को भारत के कृषि निर्यात में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इस समझौते के लागू होने के बाद भारत की 95 फीसदी से अधिक कृषि वस्तुएं और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद ब्रिटेन में बगैर किसी शुल्क के जाएंगे। इनमें फल, सब्जियां, अनाज,मसाला मिश्रण, फलों के गूदे, खाने के लिए तैयार भोजन आदि शामिल हैं। इससे ब्रिटेन में इन चीजों की पहुंच लागत कम हो जाएगी और ये भारतीय उत्पाद वहां के लोगों को सस्ते पड़ेंगे। इससे ये उत्पाद वहां मुख्यधारा और पारंपरिक खुदरा शृंखला दोनों में बेहतर मुकाबला कर पाएंगे। प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र में 99.7 फीसदी उत्पादों पर शुल्क 70 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है। इससे भारतीय निर्यातकों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

यह एफटीए भारतीय कृषि क्षेत्र को उच्च मात्रा से उच्च मूल्य वाले उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने की तरफ मोड़ेगा। इससे किसान स्थानीय बाजारों की जरूरतों को पूरा करने से वैश्विक बाजारों की जरूरतों को पूरा करने की तरफ बढ़ सकेंगे। इसके साथ ही भारत ने इस एफटीए से देश के सबसे संवेदनशील कृषि क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए हैं। भारत ने ब्रिटेन को डेयरी उत्पादों, सेब, जई और खाद्य तेलों पर कोई टैरिफ रियायत नहीं होगी। इससे यह पक्का होगा कि इन क्षेत्रों के घरेलू किसानों को कोई नुकसान न हो।

कटहल, बाजरा जैसा मोटा अनाज,सब्जियां,जैविक जड़ी-बूटियां जैसे उत्पाद यूके बाजार में उतर सकेंगे। इससे भारत के किसान फसल विविधीकरण कर पाएंगे और घरेलू कीमतों में उतार-चढ़ाव से बच पाएंगे।

यह समझौता भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र को, खासतौर से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु जैसे तटीय राज्यों के मत्स्य उद्योग को फायदा पहुंचाएगा। 99 फीसदी झींगा, टूना, मछली का भोजन और चारे जैसे समुद्री उत्पादों पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा। यह शुल्क मौजूदा वक्त में 4.2 फीसदी से 8.5 फीसदी तक है।

एफटीए से भारत को उच्च-मार्जिन ब्रांडेड उत्पाद जैसे कॉफी,चाय, मसाले और पेय पदार्थों के निर्यात में बड़ा अवसर मिलेगा। अभी भारत ब्रिटेन को 1.7 फीसदी कॉफी, 5.6 फीसदी चाय और 2.9 फीसदी मसालों का निर्यात करता है। शुल्क खत्म होने पर इनका निर्यात तेजी से बढ़ेगा। अब भारत की इंस्टेंट कॉफी ब्रिटेन में जर्मनी और स्पेन जैसे बड़े यूरोपीय ब्रांड्स को टक्कर दे सकेगी।

सरकार का मानना है कि यह समझौता भारतीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। निर्यात में यह इजाफा 2030 तक कृषि निर्यात को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के भारत के बड़े लक्ष्य को भी पूरा करेगी।

भारत का जीवंत वस्त्र पारिस्थितिकी तंत्र महिलाओं के कौशल पर टिका है। फिर चाहे वह वह कांचीपुरम, भागलपुर, जयपुर या वाराणसी की बुनकर, कढ़ाई करने वाली, रंगाई करने वाली या डिजाइनर हों। अब वे वैश्विक फैशन और डिजाइन की दुनिया में अपनी पहचान कायम कर पाएंगी।

महाराष्ट्र और आस-पास के इलाकों में महिलाओं की हाथ से बनाई जाने वाली कोल्हापुरी चप्पलें अब ब्रिटेन के प्रीमियम बाजार में बगैर शुल्क के बिक सकेंगी। इससे इनका ब्रांड बढ़ेगा। संस्कृति सुरक्षित रहेगी। आय बढ़ेगी और टिकाऊ चमड़े के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

शराब और खाद्य उत्पादों जैसे उत्पादों के निर्यात-आयात के क्षेत्र के ब्रिटेन के क्यूडीटी एनालिटिक्स के निदेशक, शिवलकर परमानंदम ने कहा, भारत में शराब आयात पर 150 फीसदी टैक्स था, जो अब घटेगा। साथ ही दस्तावेजी प्रक्रिया भी सरल होगी, जिससे व्यापार आसान बनेगा।

ब्रिटेन में 75,000 भारतीय कामगारों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान से 3 साल की छूट का लाभ मिलेगा। 1,800 तक भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक और शास्त्रीय संगीतकार अस्थायी रूप से ब्रिटेन में सेवाएं प्रदान करने के लिए जा सकते हैं। दोहरे योगदान समझौते (डीसीसी) से 75,000 श्रमिकों को लाभ होगा।

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