लोन वसूली की प्रक्रिया को इंसानियत के दायरे में रखें एनबीएफसीः सीतारमण
मुंबई- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की लोन रिकवरी के तरीकों को गलत ठहराया है। साफ तौर पर कहा, इनसे बचा जाना चाहिए। लोन वसूली की प्रक्रिया नियमों और इंसानियत के दायरे में होनी चाहिए। साथ ही एनबीएफसी की तरफ से वसूला जाने वाला ब्याज भी उचित होना चाहिए और सभी शुल्क पारदर्शी तरीके से ग्राहक को पहले से बताए जाने चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा, विकसित भारत 2047 की यात्रा में एनबीएफसी की बड़ी भूमिका है। ये कंपनियां किसानों, छोटे व्यवसायियों और सामान्य परिवारों तक वित्तीय सेवा पहुंचा रही हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए इनको जोखिम प्रबंधन और नकदी नियंत्रण पर भी विशेष ध्यान देना होगा। लोन तभी दिया जाना चाहिए, जब ग्राहक को उसकी सही जरूरत हो और वो समय पर उसका भुगतान कर सके।
सीतारमण ने कहा, 20 फीसदी एनबीएफसी कर्ज को बैंकों के साथ सह-उधारी में लाया जाना चाहिए। एनबीएफसी को 100 फीसदी डिजिटल तकनीक अपनाना चाहिए। इसके लिए एक सामान्य टेक्नोलॉजी मानक विकसित किया जाए, ताकि सभी की सेवाएं पारदर्शी और तेज बन सकें। हाल ही में आरबीआई द्वारा फंडिंग की लागत घटाने वाले कदमों से एनबीएफसी को लाभ मिला है और इसे ग्राहकों तक पहुंचाया जाना चाहिए।