बैंकों में एफडी की लोकप्रियता अब कम हो रही, म्यूचुअल फंड में बढ़ा निवेश
मुंबई- बैंक एफडी की लोकप्रियता कम हो रही है। लोग अब बैंक में पैसे जमा करने के बजाय दूसरी जगहों पर निवेश कर रहे हैं। वे म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार जैसी जगहों पर निवेश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन जगहों पर बैंक से ज्यादा फायदा मिल रहा है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, लोगों की बैंक टर्म डिपॉजिट्स (एफडी, आरडी आदि) में हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020 के अंत में 50.54% थी। वित्त वर्ष 2025 के अंत में यह घटकर 45.77% हो गई। इसका मतलब है कि लोग अब बैंकों में पहले जितना पैसा जमा नहीं कर रहे हैं।
इस दौरान ब्याज दरों में बदलाव हुआ है। रिजर्व बैंक ने कोविड महामारी के दौरान मार्च 2020 से मई 2022 के बीच प्रमुख रेपो दर को 1.15 प्रतिशत तक कम कर दिया था। फिर बाद में इसे 2.25 पर्सेंट तक बढ़ा दिया। हाल ही में, रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को कम करना शुरू कर दिया है। उसने फरवरी से जून तक ब्याज दरें 1 प्रतिशत घटा दी।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि बचत जमा में व्यक्तियों की हिस्सेदारी पिछले पांच सालों में लगभग 77% पर स्थिर रही है। इसका मतलब है कि लोग अभी भी बचत खाते में पैसा रख रहे हैं। वे म्यूचुअल फंड में भी खूब निवेश कर रहे हैं। अप्रैल तक 23 करोड़ म्यूचुअल फंड अकाउंट्स में से 91% खाते व्यक्तियों के हैं। मई 2021 में यह आंकड़ा 10 करोड़ से थोड़ा ही ज्यादा था।
रिजर्व बैंक के अर्थशास्त्रियों के एक रिसर्च पेपर के अनुसार, भारतीय परिवारों की वित्तीय बचत के पोर्टफोलियो में बदलाव देखा गया है। इसका मतलब है कि लोग अब अपनी बचत को अलग-अलग जगहों पर लगा रहे हैं। बैंकों में जमा की हिस्सेदारी समय के साथ कम हुई है, जबकि इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ा है।
म्यूचुअल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी निवेशकों के कुल निवेश का मूल्य 30 अप्रैल को बढ़कर 69.50 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2020 के अंत में यह 22.26 लाख करोड़ रुपये थी। इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड में लोगों का निवेश बहुत तेजी से बढ़ा है। साल 2022 में 17.8% भारतीय परिवारों ने जोखिम वाली संपत्तियों में निवेश किया था। वहीं साल 2019 में यह आंकड़ा 15.7% था।