बुरे फंसे एचडीएफसी बैंक के एमडी शशि जगदीशन, अब पहुंचे सुप्रीमकोर्ट में
मुंबई- देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO शशिधर जगदीशन ने लीलावती ट्रस्ट के FIR को खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। लीलावती किर्तीलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने जगदीशन के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए 30 मई को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद FIR दर्ज कराई थी।
ट्रस्ट ने आरोप लगाया था कि जगदीशन ने उनके एक पूर्व मेंबर से 2.05 करोड़ रुपए लिए, जिसका मकसद ट्रस्ट के एक मौजूदा मेंबर के पिता को परेशान करना था। हालांकि, HDFC ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण” बताया था। दरअसल, इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन जजों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था, जिसके कारण केस में देरी हो रही थी। शशिधर के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस वजह से मामला अटक गया है।
सुप्रीम कोर्ट के जज MM सुंद्रेश और के विनोद चंद्रन ने इस मामले को शुक्रवार, 8 जुलाई को सुनवाई के लिए लिस्ट करने का फैसला किया है। लीलावती ट्रस्ट ने जगदीशन और सात अन्य लोगों के खिलाफ मुंबई के बांद्रा थाने में FIR दर्ज कराई है। ये FIR 30 मई 2025 को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुई है। ट्रस्ट का कहना है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं, जिनमें एक डायरी शामिल है।
इस डायरी में कथित तौर पर 14.42 करोड़ रुपए की हेराफेरी का जिक्र है, जिसमें से 2.05 करोड़ रुपए जगदीशन को दिए गए। ट्रस्ट के मौजूदा ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने आरोप लगाया है कि ये रकम उनके पिता को परेशान करने के लिए पूर्व ट्रस्टी, चेतन मेहता ने दी थी।
HDFC बैंक ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा- ये सब लीलावती ट्रस्ट और मेहता परिवार की तरफ से बैंक को बदनाम करने की साजिश है। बैंक का दावा है कि मेहता परिवार ने 1995 में लिए गए एक लोन को चुकाने में डिफॉल्ट किया था। ब्याज समेत ये रकम 31 मई 2025 तक 65.22 करोड़ रुपए हो चुकी है।

