उत्तर प्रदेश का मलीहाबादी और अन्य आमों की फसल बर्बाद, अब किसान परेशान

मुंबई- उत्तर प्रदेश में पहली बार दशहरी के सीजन की शुरूआत होते ही उत्पादक किसान सड़कों पर माल फेंक रहे और बर्बाद हो जाने की गुहार लगाते हुए सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं। मौसम में आए अभूतपूर्व बदलाव के चलते समय से पहले पककर अंदर से खराब हो रहा दशहरी आम कौड़ी के भाव बिक रहा है। हालात इतने खराब हैं कि बाहर के कारोबारी इस बार मलिहाबादी दशहरी उठाने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं और स्थानीय बाजारों में कीमत एक दशक के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची है।

बेतहाशा पड़ी गर्मी, अनियमित बारिश और उमस के चलते दशहरी का 40-45 दिलों तक चलने वाला सीजन इस बार घटकर आधा रह गया है। बीते कई सालों में यह पहली बार हो रहा है कि काकोरी-मलिहाबाद के फल-पट्टी क्षेत्र में सजी थोक मंडी में दशहरी 8-10 रूपये किलो के भाव बिक रहा है। कीमतों में आयी इस गिरावट के बाद भी बाजार मे लिवाल नदारद हैं।

इस बार दशहरी की फसल समय से पहले पक गयी और नमी न होने व अधिक गर्मी से गुणवत्ता प्रभावित हुयी है। न केवल आम छोटे व पिलपिले हैं बल्कि बागों में नमी की कमी से समय से पहले ही गिरने लगे हैं। बागवानों का कहना है कि जून के दूसरे-तीसरे हफ्ते में ही दशहरी खत्म होने के कगार पर है।

राजधानी लखनऊ की सबसे बड़ी सीतापुर रोड व दुबग्गा स्थित फल मंडियों के आढ़तियों का कहना है कि जून का दूसरा तीसरा सप्ताह दशहरी की कीमतों में तेजी का होता है जबकि आखिरी हफ्ते व जुलाई में इसकी कीमत गिरती है। उनका कहना है कि इस बार सीजन की शुरूआत से ही दाम में भारी गिरावट देखी जा रही है। खराब क्वालिटी के चलते बाहर के कारोबारी आम खरीद ही नहीं रहे है। यहां तक कि पहली बार स्थानीय बाजारों तक में दशहरी की खरीद पहले जैसी नहीं हो रही है। थोक मंडियों में दरम्याने साइज की दशहरी 6-7 रूपये किलों तक मिल जा रही है जबकि अच्छी साइज की कीमत 8 से 10 रूपये किलो से उपर नहीं जा रही है।

यह कीमतों पिछले दस सालों में कभी नहीं देखी गयी है। उनका कहना है कि इन हालात में तो जुलाई आते-आते आम सड़कों पर फिंकने लगेगा और कीमत नहीं मिलेगी। आढ़तियों का कहना है कि दशहरी की बर्बादी के बाद अब लंगड़ा और चौसा का इंतजार है जिससे कुछ मुनाफे की उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *