भारत में तेजी से बढ़े करोड़पति, 3.79 लाख के पास 129 लाख करोड़ की संपत्ति
मुंबई- जीडीपी, शेयर बाजार सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहे भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। प्रमुख देशों की तुलना में 2024 में भारत में करोड़पतियों की संख्या सबसे ज्यादा 8.8 फीसदी बढ़कर 3,78,810 हो गई है। इनकी कुल संपत्ति बढ़कर 1.5 लाख करोड़ डॉलर यानी 129 लाख करोड़ रुपये हो गई। वैश्विक एचएनआई व्यक्तियों की आबादी 2024 में 2.6 प्रतिशत बढ़ी है।
कैपजेमिनी की वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट 2025 रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के अंत तक भारत में नेक्स्ट डोर वाले 333,340 करोड़पति थे। इनकी संपत्ति 628.93 अरब डॉलर थी। नेक्स्ट डोर का मतलब उन अमीरों से है जिन्होंने खुद से अपनी पहचान या संपत्ति बनाई है। ये वे लोग हैं जो बहुत सामान्य जीवन जीते हैं और किसी तरह की दिखावट नहीं करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल 4,290 अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (एचएनडब्ल्यूआई) यानी बहुत ज्यादा अमीर थे। इनकी कुल संपत्ति 534.77 अरब डॉलर रही। भारत के 85 प्रतिशत अगली पीढ़ी के एचएनडब्ल्यूआई 1-2 वर्षों के भीतर अपने माता-पिता की वेल्थ मैनेजमेंट फर्म (डब्ल्यूएम) को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। वैश्विक स्तर पर अगली पीढ़ी के 81 प्रतिशत एचएनडब्ल्यूआई ऐसी योजना बना रहे हैं।
2030 तक 98 फीसदी अगली पीढ़ी के भारतीय एचएनडब्ल्यूआई अपनी ऑफशोर संपत्तियों को 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। ऑफशोर निवेश पर ध्यान बेहतर निवेश विकल्पों (55 प्रतिशत), धन प्रबंधन सेवाओं (65 प्रतिशत), बाजार संपर्क (54 प्रतिशत), बेहतर कर विनियमन व आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता (49 प्रतिशत) के कारण दिया जाता है।
वैश्विक स्तर पर एचएनआई की वृद्धि अति अमीरों की जनसंख्या में वृद्धि के कारण हुई। मजबूत शेयर बाजारों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आशावाद से पोर्टफोलियो रिटर्न को बढ़ावा मिलने से अति अमीरों की संख्या 6.2 फीसदी बढ़ गई। वैकल्पिक निवेश, जैसे कि प्राइवेट इक्विटी और क्रिप्टोकरेंसी अब एचएनडब्ल्यूआई होल्डिंग्स में प्रमुख स्थान बना रही है जो उनके पोर्टफोलियो का 15 फीसदी हिस्सा है।
वैश्विक संपत्ति में वृद्धि के बावजूद 81 प्रतिशत उत्तराधिकारी विरासत के एक से दो साल के भीतर फर्म बदलने की योजना बनाते हैं। एचएनआई की अगली पीढ़ी अपने माता-पिता से बहुत अलग उम्मीदें लेकर आती है।
यूरोप : प्रमुख देशों में आर्थिक स्थिरता के कारण यूरोप की एचएनडब्ल्यूआई आबादी में 2.1 फीसदी की गिरावट आई। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में क्रमशः 14,000, 21,000 और 41,000 करोड़पति कम हुए हैं। इसके विपरीत, यूरोप की अति अमीरों की आबादी 3.5 फीसदी बढ़ी है।
एशिया प्रशांत : एचएनडब्ल्यूआई आबादी में 2.7% की वृद्धि हुई। पूरे क्षेत्र में इसमें उल्लेखनीय भिन्नता देखी गई। लैटिन अमेरिका में मुद्रा अवमूल्यन और राजकोषीय अस्थिरता के कारण करोड़पतियों की आबादी में 8.5 फीसदी की गिरावट आई। ब्राजील (-13.3%) और मैक्सिको (-13.5%) में सबसे ज्यादा कमी रही। मध्य पूर्व में तेल की लगातार कम होती कीमतों के कारण करोड़पतियों की संख्या में 2.1 फीसदी की कमी आई।
संख्या के लिहाज से अमेरिका ने पिछले साल 562,000 करोड़पतियों को जोड़ा जिससे कुल करोड़पतियों की संख्या 7.6 फीसदी बढ़कर 79 लाख हो गई। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान सबसे आगे रहे। दोनों देशों में क्रमशः 20,000 और 210,000 करोड़पति बढ़े। चीन में एचएनडब्ल्यूआई की संख्या एक फीसदी घट गई।