अब 8 फीसदी से कम ब्याज पर मिल रहे होम लोन, देखिए इन बैंकों की लिस्ट
मुंबई- आरबीआई की ओर से लगातार दो बार रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती ने घर खरीदारों को महंगे होम लोन से कुछ राहत दी है। होम लोन की दरें अब 8 फीसदी से नीचे पहुंच गई हैं।
लंबे समय से महंगे होम लोन से जूझ रहे मकान मालिकों को इस साल ने अच्छी खासी राहत ही दी है। फरवरी और अप्रैल में होम लोन की किस्त में जहां भारी गिरावट आई है, वहीं अक्तूबर तक इसमें फिर से 0.50 फीसदी की कटौती की उम्मीद है। जून में और अगस्त में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक समिति की बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। यानी इस पूरे साल में एक लोन की ब्याज दरें एक फीसदी तक घट सकती हैं। इससे जो दरें अभी 8 फीसदी से नीचे आ गई हैं, वह 7.50 फीसदी से भी नीचे जा सकती हैं। अगर आप अभी होम लोन लेने की सोच रहे हैं, तो 10 ऐसे बैंक हैं जो 8 फीसदी तक ब्याज पर कर्ज दे रहे हैं।
आरबीआई की दरों में दो बार की कटौती से रेपो दर 6.5 फीसदी से घटकर अब 6 फीसदी पर आ गई है। रेपो वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंक को कर्ज देता है। बैंकों की फ्लोटिंग होम लोन पर सबसे कम ब्याज दरें हैं। फ्लोटिंग वह दर है जो आरबीआई के ब्याज दरों में बदलाव के आधार पर कम ज्यादा होती रहती है। ये ब्याज दरें केवल पात्र उधारकर्ताओं पर लागू होती हैं। जो उधारकर्ता सबसे कम दर के लिए पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें बैंक ज्यादा ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं।
क्रेडिट स्कोर : बैंक कर्ज लेने की आपकी योग्यता निर्धारित करने के लिए क्रेडिट स्कोर का उपयोग करते हैं। 750 से अधिक क्रेडिट स्कोर को आम तौर पर अच्छा माना जाता है। 750 से कम क्रेडिट स्कोर को खराब माना जाता है। यदि आपका क्रेडिट स्कोर औसत से कम है, तो बैंक अधिक ब्याज ले सकते हैं।
बेंचमार्क दर : बेंचमार्क यानी रेपो दर में कोई भी बदलाव आपके होम लोन की ब्याज दर पर प्रभाव डाल सकता है, बशर्ते कि आपकी ब्याज दर फ्लोटिंग हो। एक अक्तूबर, 2019 से आरबीआई ने बैंकों से होम लोन की ब्याज दरों को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने के लिए कहा था। बैंक किसी भी बाहरी बेंचमार्क का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं। 30 सितंबर, 2019 तक बैंकों की ओर से वितरित ऋण सीमांत निधि लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) से जुड़े हैं। यह वह दर होती है जो बैंकों में सबसे कम होती है। ग्राहक चाहे तो एमसीएलआर से बाहरी बेंचमार्क में लोन को ट्रांसफर कर सकता है।
फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट : दोनों होम लोन की ब्याज संरचना अलग-अलग होती है। फिक्स्ड रेट लोन की ब्याज दरें आमतौर पर फ्लोटिंग दरों की तुलना में थोड़ी अधिक होती हैं। हालांकि, फ्लोटिंग रेट लोन अधिक कभी भी कम या ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि वे बाजार की स्थितियों के आधार पर समय के साथ बदलते रहते हैं। जब बात होम लोन की आती है, तो आम तौर पर बड़ी लोन राशि पर ज्यादा ब्याज और छोटे लोन पर कम ब्याज देना पड़ सकता है। आप जो प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बना रहे हैं, वह किसी महंगे इलाके में है और उसकी दोबारा की बिक्री का मूल्य अधिक है, तो बैंक कम ब्याज दर ले सकते हैं। सस्ते इलाके में कोई मकान है और अगर उसकी रीसेल यानी दोबारा बिक्री का मूल्य कम है तो इसके लिए बैंक ज्यादा ब्याज ले सकते हैं।
देश के कुछ बड़े सरकारी बैंकों को देखें तो इस समय उनकी किस्त घट गई है। उदाहरण के तौर पर बैंक ऑफ इंडिया की ब्याज दर इस समय 8 फीसदी है। अगर आप 30 लाख रुपये का 20 साल के लिए होम लोन लेते हैं तो मासिक किस्त 25,080 रुपये चुकानी होगी। एसबीआई की भी यही दर और यही किस्त है। पंजाब नेशनल बैंक ने भी दरों को 8 फीसदी पर ही रखा है और इसकी भी मासिक किस्त 25,080 रुपये है।