सेबी प्रमुख बोले, धोखाधड़ी से निपटने के लिए भारत में पर्याप्त व्यवस्था
मुंबई। भारत में धोखाधड़ी से निपटने के लिए पर्याप्त जांच और संतुलन की व्यवस्था है। जब भी कोई घोटाला सामने आता है तो किसी को भी यह धारणा नहीं रखनी चाहिए कि प्रणाली काम नहीं कर रही है। सेबी प्रमुख तुहिनकांत पांडे ने कहा, आम तौर पर ऐसी प्रवृत्ति होती है कि हम वास्तविक साक्ष्यों से प्रभावित हो जाते हैं और आंकड़ों पर गौर किए बिना ही धोखाधड़ी के बारे में धारणा बना लेते हैं।
पांडे ने कहा, सबसे पहले तो एक्सचेंज ही नियामक हैं। बहुत सारे खुलासे हो रहे हैं। बहुत सारे ऑडिटर अपना काम कर रहे हैं। इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि सिस्टम वास्तव में काम नहीं कर रहे हैं। चिंता का विषय यह होना चाहिए कि कितने लोग नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं या धोखाधड़ी कर रहे हैं।
सेबी प्रमुख ने हाल में इंडसइंड बैंक के मामले में कहा, नियामक हमेशा किसी भी धोखाधड़ी के मामलों पर गौर करता है और इनसाइडर ट्रेडिंग को बहुत गंभीरता से लेता है। सेबी को जब भी गंभीर व्यवहार के मामले मिलते हैं तो वह कार्रवाई करता है और ऐसा ठोस मामला बनाने का प्रयास करता है जो कानूनी चुनौतियों का सामना कर सके।
उन्होंने कहा, हमारे (सेबी के) आदेश विस्तृत होने चाहिए। जांच विस्तृत होनी चाहिए। उन्हें अदालतों की जांच का सामना करना होगा। एक न्यायाधिकरण है। एक सर्वोच्च न्यायालय है। वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने सेबी के 92 प्रतिशत आदेशों को बरकरार रखा। सुप्रीमकोर्ट में 80 प्रतिशत आदेश नियामक के पक्ष में गए हैं।
वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) में भाग लेने के इच्छुक खुदरा व्यापारियों पर पांडे ने कहा, हम किसी भी परीक्षण पर विचार नहीं कर रहे हैं। सेबी के पास पहले से ही विशिष्ट बाजार सहभागियों के लिए प्रमाणन तंत्र है। कल कोई कहेगा कि यदि आप म्यूचुअल फंड के लिए ऐसा करना चाहते हैं, तो आपको योग्यता परीक्षण देना होगा। तो, इसे कौन लेगा? इसे कैसे लिया जाएगा? इसे कैसे पास किया जाएगा? इसलिए, हमें इसकी व्यावहारिकता भी देखनी होगी।
यदि ट्रेडिंग एक लत बन जाता है, तो यह नशामुक्ति के दायरे में चला जाता है, जिसे एक अलग नजरिए से देखने की जरूरत है। हम ट्रेडिंग के लिए लिवरेज को भी बहुत हतोत्साहित करते हैं। मेरा मतलब है, इस तरह से पैसे और ब्याज उधार लेने की कोशिश करना।