वेदांता के अनिल अग्रवाल बोले, तांबा बन सकता है अगला सोना, ये है कारण

मुंबई- कॉपर की कीमत में हाल में काफी तेजी आई है। हाल में इसकी कीमत 10,000 डॉलर प्रति टन के ऊपर पहुंच गई थी। इसकी वजह यह है कि नए जमाने की हर तकनीक में इसका यूज हो रहा है और इसे सुपर मेटल कहा जा रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रिन्यूएबल एनर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डिफेंस से जुड़े साजोसामान में तांबे का यूज हो रहा है। भारत में सिर्फ हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और सरकारी कंपनी हिंदुस्तान कॉपर ही तांबा बनाती हैं। इस बीच वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तांबे को अगला सोना करार दिया है। उनका कहना है कि देश के निवेशकों और उद्यमियों को कॉपर पर मिशन मोड में काम करने की जरूरत है।

अग्रवाल ने X लिखा है कि कॉपर अगला सोना है। इसमें उन्होंने लिखा, ‘बैरिक गोल्ड दुनिया में सोने का उत्पादन करने वाली दूसरी बड़ी कंपनी है। अब यह कंपनी सिर्फ बैरिक के नाम से जानी जाएगी। इसकी वजह यह है कि कंपनी तांबे की माइनिंग पर ध्यान दे रही है। तांबा एक नया सुपर मेटल है। इसका इस्तेमाल हर नई तकनीक में हो रहा है।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तांबे की खदानों को फिर से शुरू किया जा रहा है। तांबा गलाने वाली नई भट्टियां भी बन रही हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि तांबे की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। भारत में भी क्रिटिकल और ट्रांजिशन मेटल्स के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं। युवा उद्यमियों और निवेशकों के लिए यह एक बड़ा मौका है। इसे एक मिशन बना लेना चाहिए।

तांबा उतना ही जरूरी है जितने लिथियम और कोबाल्ट। इनका इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरी में होता है। तांबे का यूज सेलफोन, एलईडी लाइट और फ्लैट-स्क्रीन टीवी में होता है। साथ ही तांबे का इस्तेमाल तारों और ट्रांसमिशन लाइनों में होता है। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर तांबा आयात करता है। 2023 में भारत ने तांबे को 30 महत्वपूर्ण खनिजों में शामिल किया था।

भारत में रिफाइंड तांबे का उत्पादन लगभग 555,000 टन प्रति वर्ष है, जबकि घरेलू खपत 750,000 टन से ज्यादा है। भारत हर साल लगभग 500,000 टन तांबा आयात करता है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार 2030 तक भारत में तांबे की मांग दोगुनी हो सकती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत में प्रति व्यक्ति तांबे की खपत लगभग 0.6 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 3.2 किलोग्राम है।

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