बैंकों ने मोदी सरकार के कार्यकाल में 16 लाख करोड़ का कर्ज किया राइट ऑफ

मुंबई- बैंकों ने पिछले 10 वित्तीय वर्षों में करीब 16.35 लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) या नहीं चुकाए गए कर्जों को बट्टे खाते में डाल दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सबसे अधिक 2,36,265 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए।

2014-15 में 58,786 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए थे। यह पिछले 10 सालों में सबसे कम है। 2023-24 के दौरान बैंकों ने 1,70,270 करोड़ रुपये के चुकता नहीं किए गए कर्जों को बट्टे खाते में डाल दिया। यह इसके पिछले वित्त वर्ष के 2,16,324 करोड़ रुपये से कम है।

मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के मुताबिक बैंक गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) को बट्टे खाते में डाल देते हैं। इस तरह बट्टे खाते में डालने से कर्जधारकों की देनदारियों में छूट नहीं मिलती और इसलिए इससे कर्जधारक को कोई लाभ नहीं होता।

मंत्री ने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर 2024 तक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में 29 विशिष्ट उधारकर्ता कंपनियां शामिल थीं, जिन्हें एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया है। उनमें से प्रत्येक पर 1,000 करोड़ रुपये और उससे अधिक का बकाया है। इन खातों में कुल बकाया 61,027 करोड़ रुपए है।

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