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मुंबई- मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत के पास वृद्धि-अनुकूल परिवेश बनाने के लिए एक आधुनिक और प्रभावी नियामकीय ढांचा होना चाहिए। इसका कारण यह है कि वैश्विक वृद्धि पर दबाव के कारण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह प्रभावित हुआ है।
नागेश्वरन ने एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि देश पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। यह सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह से पता चलता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें विनियामकीय स्पष्टता में सुधार, व्यापार संचालन को सुगम बनाने और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देने की जरूरत है कि विनियामक ढांचे की योजना सुधारों की व्यापक दृष्टि से मेल खाती हो।’’
एक महीने में विभिन्न सरकारों द्वारा उठाये गये कदमों से यह बिल्कुल साफ है कि दुनियाभर में वृद्धि पर दबाव है। भारत को देश के भीतर ‘रचनात्मक आशावाद के माहौल’ को बनाए रखने के लिए घरेलू स्तर पर जो कुछ भी किया जा सकता है, वह करना होगा। एक मजबूत निवेश परिवेश आवश्यक है, खासकर जब वैश्विक स्तर से जोखिम से बचने के कारण वैश्विक एफडीआई प्रवाह प्रभावित होने की आशंका हो।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘निवेश माहौल को बनाए रखने की जरूरत है क्योंकि यह पूंजी निर्माण में मदद करेगा, रोजगार पैदा करेगा और आर्थिक वृद्धि को बनाए रखेगा। ऐसा करने के लिए एक आधुनिक और प्रभावी नियामकीय ढांचा आवश्यक है। वृद्धि-अनुकूल निवेश माहौल तैयार करने के लिए यह एक पूर्व-शर्त है।’’ बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने पर नागेश्वरन ने कहा कि इससे अधिक पूंजी, प्रतिस्पर्धा और नवोन्मेष आएगा।