तरलता बनाए रखने के लिए बैंकिंग प्रणाली को एक लाख करोड़ की जरूरत

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक को संतुलन स्तर पर तरलता बनाए रखने के लिए इस महीने के अंत तक बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त एक लाख करोड़ रुपये डालने पड़ सकते हैं। एसबीआई की जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि फरवरी के अंत तक बैंकिंग प्रणाली में 1.6 लाख करोड़ रुपये की कमी थी। तरलता का औसत घाटा करीब 1.95 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

बैंकिंग प्रणाली हाल के महीनों में गंभीर तरलता संकट का सामना कर रही है। यह एक दशक से अधिक समय में तरलता की सबसे खराब स्थिति है। रोजाना विदेशी निवेशकों की निकासी और अगले एक से तीन महीने में आगे के लेनदेन की परिपक्वता के कारण आरबीआई को उपरोक्त रकम प्रणाली में डालनी होगी। पिछले कुछ महीनों में बैंकिंग प्रणाली में तरलता की स्थिति काफी खराब हो गई है। नवंबर, 2023 में 1.35 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की तरलता थी।

हालांकि, दिसंबर में तरलता नकारात्मक होकर 65,000 करोड़ रुपये हो गई, जो जनवरी में बढ़कर 2.07 लाख करोड़ रुपये और फरवरी में 1.59 लाख करोड़ रुपये हो गई। केंद्रीय बैंक ने तरलता बढ़ाने के लिए फरवरी में रेपो दर को 0.25 फीसदी घटा दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग क्षेत्र में मौजूदा तरलता दबाव को कम करने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती करने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई को भविष्य में सीआरआर पर तरलता साधन के रूप में निर्भर रहने के बजाय नियामक दूसरे उपायों का भी उपयोग करना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *