नए आयकर बिल में आकलन वर्ष, वित्तीय वर्ष की होगी विदाई, अब टैक्स ईयर होगा

मुंबई- नया आयकर बिल बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश होगा। सरकार अब आयकर के नियमों की भाषा बदल देगी। इसके लिए पिछले 60 साल से इस्तेमाल हो रहे कई शब्दों की विदाई हो जाएगी। उदाहरण के लिए वित्तीय वर्ष व आकलन वर्ष की जगह टैक्स ईयर का उपयोग किया जाएगा। इस तरह से उन सभी शब्दों को हटाया जाएगा, जिन्हें कठिन माना गया है। नए बिल के नियम और प्रावधान एक अप्रैल, 2026 से लागू होंगे।

टैक्स ईयर का मतलब एक अप्रैल से अगले साल 31 मार्च की अवधि होगी। नए आयकर बिल में 16 शेड्यूल हैं। डिजिटल लेनदेन और क्रिप्टो एसेट्स की भी नई परिभाषा होगी। हालांकि,क्रिप्टो के अभी तक कोई नियम या कानून नहीं हैं, इसलिए आयकर बिल में इसकी बाकायदा पूरी परिभाषा और नियम भी आ सकते हैं। खबरों के मुताबिक, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के नियम नहीं बदले जाएंगे। फ्रिंज बेनिफिट टैक्स जैसे गैर जरूरी सेक्शंस को हटा दिया गया है। विधेयक स्पष्टीकरण या प्रावधानों से मुक्त है, जिससे इसे पढ़ना और समझना आसान हो जाता है।

इसके अलावा, आयकर अधिनियम, 1961 में अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले शब्द ‘फिर भी’ को नए विधेयक में हटा दिया गया है और लगभग हर जगह ‘भले ही’ शब्द का उपयोग किया गया है। 536 सेक्शन और 622 पेज के 23 अध्यायों वाला यह एक स्पष्ट और सरलीकृत आयकर विधेयक है। छह दशक पुराने कानून में 298 धाराएं और 14 शेडयूल्ड हैं। जब अधिनियम पेश किया गया था तब इसमें 880 पेज थे।

विधेयक में छोटे वाक्यों का उपयोग किया गया है। इसे टेबल और सूत्रों के उपयोग से पाठक के अनुकूल बनाया गया है। टीडीएस, अनुमानित कराधान, वेतन और खराब ऋण के लिए कटौती से संबंधित प्रावधानों के लिए टेबल दिए गए हैं। ‘करदाता चार्टर’ को शामिल किया गया है जो करदाताओं के अधिकारों और दायित्वों को रेखांकित करता है।

लोकसभा में पेश होने के बाद विधेयक को आगे के विचार-विमर्श के लिए वित्त पर संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा। कर प्रशासकों, व्यवसायियों और करदाताओं ने भी आयकर अधिनियम के जटिल प्रावधानों और संरचना के बारे में चिंता जताई थी। उनका कहना था कि करदाताओं के लिए अनुपालन की लागत बढ़ रही है और प्रत्यक्ष कर प्रशासन की दक्षता में बाधा आ रही है। इसलिए, सरकार ने जुलाई, 2024 में बजट में घोषणा की कि अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाने के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की समयबद्ध व्यापक समीक्षा की जाएगी।

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