खराब सड़क बनाने पर ठेकेदारों को नहीं मिलेगी जमानत, गडकरी बनाएंगे योजना
मुंबई- केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने खराब सड़क निर्माण को गैर-जमानती अपराध बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दोषी ठेकेदारों और इंजीनियरों को सड़क दुर्घटनाओं के लिए जेल भेजा जाना चाहिए। गडकरी ने चिंता जताई कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
उन्होंने बताया कि 2023 में 5 लाख दुर्घटनाओं में 1.72 लाख लोगों की जान गई। इनमें से ज्यादातर युवा थे। गडकरी ने हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनने को भी मौतों का बड़ा कारण बताया। सरकार ब्लैक स्पॉट्स ठीक करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि घटिया सड़कें बनाने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि इसे गैर-जमानती अपराध बनाया जाए। गडकरी ने कहा कि अगर सड़क ठेकेदार और इंजीनियर लापरवाही बरतते हैं तो उन्हें जेल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं। अगर गडकरी के कहे मुताबिक चीजें होती हैं तो ठेकेदारों और इंजीनियरों में डर बैठेगा। इसके बाद आपको शानदार सड़कें मिल सकती हैं।
गडकरी ने बताया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा, ‘दोषपूर्ण सड़क निर्माण को गैर-जमानती अपराध बनाया जाना चाहिए। सड़क ठेकेदारों, रियायतियों और इंजीनियरों को दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और जेल भेजा जाना चाहिए।’ सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में देश में 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 1.72 लाख लोगों की मौत हो गई।
गडकरी ने बताया कि मरने वालों में ज्यादातर युवा थे। उन्होंने कहा, ‘इनमें से 66.4 फीसदी यानी 1,14,000 लोग 18-45 वर्ष आयु वर्ग के थे। जबकि 10,000 बच्चे थे।’ उन्होंने आगे बताया कि 55,000 लोगों की मौत हेलमेट न पहनने से हुई। 30,000 लोगों ने सीट बेल्ट न लगाने के कारण जान गंवाई। गडकरी ने कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का टारगेट 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को आधा करना है।
गडकरी ने यह भी बताया कि सरकार ब्लैक स्पॉट्स को ठीक करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। ब्लैक स्पॉट्स वे जगहें होती हैं जहां अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि वे ड्राइवरों की ट्रेनिंग के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करें। देश में ड्राइवरों की कमी है।