फिक्स्ड के बजाय फ्लोटिंग दर पर सस्ता होगा लोन, फरवरी से राहत की उम्मीद

मुंबई- आरबीआई ने बैंक और वित्तीय संस्थानों को पर्सनल लोन में फ्लोटिंग के अलावा फिक्स्ड ब्याज दर की सुविधा देने का आदेश दिया है। हालांकि, आदेश पुराना है, पर अब इसे पूरी तरह से लागू करना है।

हाल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब खुले मंच पर यह बहस जोर पकड़ी है कि लोन की दरें बहुत ऊंची हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और यहां तक कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी खुले तौर पर आरबीआई और बैंकों से यह कह दिया है कि लोन की ऊंची ब्याज दरें विकास में बाधक बन रही हैं। बावजूद इसके अभी तक आरबीआई ने रेपो दर को दो साल से जस का तस बनाए रखा है। इसका सीधा अर्थ है कि ऊंची ब्याज दर की वजह से लोन की मांग घट गई है। इससे लोग खर्च भी कम कर रहे हैं जो देश की विकास में बाधक है। अब अनुमान है कि आरबीआई फरवरी में होने वाली बैठक में दरों में कटौती कर सकता है जिससे कर्ज सस्ता होंगे। एक बार दरों में कटौती का चक्र शुरू होने पर यह आगे भी कम हो सकता है।

दो साल से ऊंची ब्याज दरों पर आपने फ्लोटिंग दर पर लोन लिया है तो आपका कर्ज आगे सस्ता हो सकता है। जैसे-जैसे ब्याज दरें घटेंगी वैसे-वैसे आपके लोन की किस्त में भी इसका बदलाव होगा। यानी जिस अनुपात में आरबीआई दरें घटाएगा, उसी के आस-पास बैंक भी दरों में कटौती करेंगे। जबकि अगर फिक्स्ड दर पर आपने कर्ज लिया है तो फिर रेपो दर या बैंकों की ओर से दरों के घटाने से आपके कर्ज पर कोई असर नहीं होगा। आपको उसी दर पर लोन चुकाना होगा, जिस दर पर आपने पहले कर्ज लिया होगा। ऐसे में बेहतर होगा कि आप फिक्स्ड दर वाले कर्ज को अब फ्लोटिंग दर में बदलने की योजना बना लें।

बैंकों की ब्याज दरें कभी भी एक सीधी रेखा में नहीं होती हैं। यह कम भी होती हैं और ज्यादा भी होती हैं। ऐसे में आपने फिक्स्ड दर पर लोन लिया है तो जब दरें घटती हैं तो इसका फायदा नहीं मिलता है। इसलिए कभी भी कर्ज फ्लोटिंग दर पर लें। अगर कम समय के लिए ले रहे हैं तो फिक्स्ड दर बेहतर है, लेकिन लंबे समय के लिए जैसे होम लोन या कार लोन या कोई पर्सनल लोन भी जो 3-5 साल की अवधि या उससे ज्यादा समय के लिए है तो फ्लोटिंग रेट बेहतर विकल्प हो सकता है।

भारी-भरकम किस्त से बचने के लिए एक आइडिया यह भी है कि लोन लेने के पहले, दूसरे और तीसरे साल तक जितना प्री-पेमेंट कर सकें, कर दें। इसके एवज में लोन की अवधि घटाएं। आप देखेंगे कि कुल कर्ज का महज 10-20 फीसदी प्री-पेमेंट करने से लोन अवधि 6-7 साल तक घट जाएगी। यानी 10-12 लाख रुपये ब्याज का फायदा मिल सकता है।  

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