नए साल में निवेश: 8 से 50 फीसदी तक फायदा पाने के लिए चुनें ये विकल्प

मुंबई- वैश्विक स्तर पर देशों के बीच तनाव, महंगाई, ऊंची ब्याज दरें इस पूरे साल निवेशकों को परेशान करती रहीं। खासकर, दूसरी छमाही यानी जुलाई से दिसंबर के बीच स्थितियां और बुरी हो गईं। इसका सीधा असर भारत पर भी पड़ा। परिणाम यह हुआ कि इक्विटी से रिटर्न जो जून तक 25 फीसदी था, वह घटकर 10 फीसदी से नीचे आ गया। 2025 भी फायदा देने के लिहाज से बेहतर साल हो सकता है। इसमें विभिन्न साधनों में निवेश कर 8 से लेकर 50 फीसदी तक का रिटर्न हासिल कर सकते हैं।

महंगाई: 2024 में खाने-पीने के साथ कमोडिटी की महंगाई दर दुनिया में ऊंची बनी रही। असर यह हुआ कि ब्याज दरें ऊंची रहीं। इससे शहरी क्षेत्रों में खर्च करने की क्षमता घट गई। ग्रामीण इलाकों में खर्च जरूर ज्यादा हुआ, पर वह अर्थव्यवस्था को धार देने में बहुत योगदान नहीं कर पाया। असर यह हुआ कि वैश्विक स्तर के साथ भारत में भी विकास दर में भारी गिरावट आई।

2025 में क्या होगा: देशों के बीच तनाव घटता है, फसलों का उत्पादन अच्छा होता है, मौसम औसत रहता है तो महंगाई दर में कमी आ सकती है। महंगाई दर घटने से ब्याज दरें कम होंगी। इससे लोग खर्च ज्यादा करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ सकती है। भारत में आगामी बजट में भी इसके लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। खासकर, टैक्स के मामले में सरकार मध्य वर्ग को राहत दे सकती है।

ब्याज दरें: देश में करीब दो साल से ब्याज दरें बहुत ज्यादा बनी हुईं हैं। कोरोना में रेपो दर में भारी कटौती हुई और बाद में लगातार बढ़ाकर कई सालों के उच्च स्तर 6.5 फीसदी पर ला दिया गया था।

2025 में क्या होगा: उम्मीद है कि आरबीआई नए साल की पहली बैठक में फरवरी में दरों को घटा सकता है। ऐसा होता है तो ऊंची ब्याज दरों के कम होने का चक्र शुरू होगा। इससे खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी।

देशों के बीच तनाव: इस साल यूक्रेन-रूस, इस्राइल-फिलीस्तीन सहित कई देशों में युद्ध रहा। भारत का कनाडा और बांग्लादेश के साथ तनाव रहा। इस तरह की स्थितियां कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि करती हैं।

2025 में क्या होगा: उम्मीद है कि तनाव कम होगा। युद्ध खत्म करने पर सहमति बन रही है। लेकिन यह जारी रहा तो महंगाई घटने, ब्याज दरों के कम होने की सारी उम्मीदें धूमिल हो सकती हैं।

सेंसेक्स-निफ्टी: 2024 में सेंसेक्स ने 8.94 फीसदी और निफ्टी ने 9.82 फीसदी का रिटर्न दिया। सितंबर तक रिटर्न 18 फीसदी से ऊपर था। उसके बाद बाजार से विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने निवेशकों के मुनाफे को आधा कर दिया।

2025: उम्मीद है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में वापसी करेंगे। इस साल की तरह आईपीओ बाजार गुलजार रहेगा। इससे बाजार को अच्छा सपोर्ट मिलेगा। कॉरपोरेट आय वृद्धि में अनिश्चितता और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर रिटर्न को प्रभावित कर सकती हैं। फिर भी इक्विटी से कम से कम 10 फीसदी रिटर्न की उम्मीद है। कुल निवेश का 50 फीसदी हिस्सा इक्विटी में लगा सकते हैं। इंजीनियरिंग, कैपिटल गुड्स, रियल एस्टेट और डिजिटलीकरण, ग्रामीण थीम वाले स्टॉक और फ्लेक्सीकैप का चयन कर सकते हैं।

सोना-चांदी: देशों के बीच तनाव और महंगाई के चलते 2024 में दोनों बहुमूल्य धातुओं ने 24 व 17 फीसदी रिटर्न दिया। हालांकि, दूसरी तिमाही में रिटर्न ज्यादा था, पर साल के अंत तक इसमें गिरावट आ गई।

2025: कुल निवेश का 10-15 फीसदी निवेश सोने में करें। सोने में 2024 वाला रिटर्न मिलना मुश्किल है, फिर भी यह इक्विटी से ज्यादा यानी 12-15 फीसदी रिटर्न दे सकता है। 2025 में 90,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक जा सकता है।

म्यूचुअल फंड: इस साल म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों ने 50 फीसदी तक का मुनाफा दिया है। साल के अंत में इक्विटी बाजार की गिरावट से इसका भी रिटर्न घट गया।

2025: इक्विटी बाजार की तेजी का असर दिखेगा। म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमें 20 से 35 फीसदी तक रिटर्न दे सकती हैं। कुल निवेश का 10 फीसदी हिस्सा एसआईपी के रूप में लगाएं। मासिक एसआईपी अब 25,000 करोड़ के पार है। करीब 7 करोड़ नए एसआईपी खाते खुले हैं। कम से कम तीन साल के लिए निवेश करें।

डेट-फिक्स्ड इनकम: लंबी अवधि के फिक्स्ड इनकम पर 2024 में अच्छा ब्याज मिला था। ऐसा इसलिए, क्योंकि ब्याज दरें काफी ज्यादा थीं। 2025: 2024 जितना ब्याज नहीं मिल सकता है, क्योंकि बॉन्ड पर ब्याज कम होने और दरों में कटौती की गुंजाइश है। कम समय में अच्छा रिटर्न मिल सकता है। कुल निवेश का 10 फीसदी हिस्सा लगा सकते हैं।

एफडी और पीएफ: 2024 में एफडी पर 7 से लेकर 9.40 फीसदी तक ब्याज मिला है। पीएफ पर 8.1 फीसदी ब्याज मिला है।

2025: केंद्रीय बैंक दरों में कटौती करते हैं तो सीधा असर एफडी और पीएफ पर होगा। यानी इन दोनों की भी दरें घट सकती हैं। फिर भी 5-10 फीसदी निवेश कर सकते हैं।

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