2025 में निफ्टी 27,000 के पार जा सकता है, यानी 13 प्रतिशत के फायदे की उम्मीद

दुनियाभर में 2024 में जिस तरह की परिस्थितियां रही हैं, उस माहौल में किसी भी साधन से बेहतर रिटर्न की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। 2024 की जब शुरुआत हुई थी, तो दुनिया का माहौल अलग था। कुछ एक देशों को छोड़ दें तो वैश्विक स्तर पर देशों के बीच तनाव के साथ महंगाई और ब्याज दरों को शीर्ष पर रखने की होड़ थी। यह जरूरी भी था। लेकिन स्थितियां तब और बुरी हो गईं, जब दूसरी और तीसरी तिमाही की शुरुआत में हालात काफी खराब हो गए। कई देश युद्ध और महंगाई के भीषण चपेट में आ गए। सत्ता भी बदली। नीतियों में भी परिवर्तन हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने निवेश के लिए बाजार बदल दिए। उनका रुझान और तरीका बदल गया। केंद्रीय बैंकों के गाइडेंस बदल गए। इसका असर यह हुआ कि अक्तूबर से लेकर दिसंबर के अब तक के दिनों में दुनियाभर के शेयर बाजारों का बुरा हाल रहा है।

सितंबर तक भारतीय बाजार ने जबरदस्त तेजी भरी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स जहां 85,800 के पार हो गया, वहीं निफ्टी भी 26,000 के स्तर को पार कर गया। दोनों का नया रिकॉर्ड था। इसका असर यह हुआ कि बाजार पूंजी भी 470 लाख करोड़ को पार कर गई। इस साल जनवरी की शुरुआत से देखें तो सितंबर तक हमारे बाजार ने 18 प्रतिशत का रिटर्न दिया था। लेकिन वैश्विक माहौल बदलते ही यह सारा रिटर्न धुल गया। हालात यह है कि अब यह मुनाफा 50 फीसदी से ज्यादा घटकर 8 फीसदी पर आ गया है। हालांकि, जिस तरह का माहौल रहा है, उसमें यह मुनाफा भी बुरा नहीं है।

निरंतर वृद्धि के बाद बाजार पिछले दो महीनों में सार्वकालिक उच्च स्तर से 11% नीचे आ गया है। हाल ही में इस्राइल-ईरान, रूस-यूक्रेन और इस्राइल-फिलिस्तीन के बीच तनाव में वृद्धि के साथ-साथ अन्य कारकों के कारण बाजार में मुनाफावसूली हुई। कंपनियों की आय में कमी और मिडकैप व स्मॉलकैप में ऊंचे मूल्यांकन के साथ अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद डॉलर इंडेक्स में मजबूती के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से दूरी बनाई। ऐसे में वित्त वर्ष वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कंपनियों की आय में 5 फीसदी की मामूली वृद्धि हो सकती है। यह पांच वर्षों में पहली बार होगा, जब कंपनियों की आय वृद्धि एक अंक में होगी। पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में कुछ सुधार की उम्मीद है। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रामीण इलाके में खर्च में वृद्धि, शादियों का मौसम और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी हो रही है।

विश्लेषकों का अनुमान है कि 2025 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 27,000 के पार जा सकता है। यह अभी 23,600 से नीचे है। यानी 13 प्रतिशत के फायदे की उम्मीद है। गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि अगले साल निफ्टी50 सूचकांक 27,000 के पार जा सकता है। अगले तीन महीने में यह 24,000 के पार जा सकता है। बाजार की तेजी में जो महत्वपूर्ण कारक होंगे, उनमें एक तो महंगाई घटने की उम्मीद है। दूसरा, कई देशों के बीच तनाव कम हो सकते हैं। कई देशों की नीतियों में बदलाव होगा। साथ ही भारत में ब्याज दरें घटने की उम्मीद है जिससे विदेशी निवेशक वापसी कर सकते हैं।

भारतीय बाजार में 2024 आईपीओ के लिहाज से भी बेहतर रहा है। इस दौरान कुल 90 कंपनियों ने 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, जो अब तक का रिकॉर्ड है। विश्लेषकों का माने तो अगले साल इससे ज्यादा पूंजी जुटाई जा सकती है। कुल 90 कंपनियों ने अभी बाजार में उतरने की योजना बनाई है। इसमें से 34 को सेबी की मंजूरी भी मिल चुकी है। ऐसे में अनुमान है कि अगले साल आईपीओ के जरिये 2.5 लाख करोड़ रुपये की रकम जुटाई जा सकती है। इस साल ह्यूंडई ने 27,000 करोड़ का रिकॉर्ड धन जुटाया है।

मिडकैप और स्मॉलकैप भले ही महंगे भाव पर कारोबार कर रहे हों, पर लार्जकैप का मूल्यांकन कम हो गया है। ऐसे में निवेशकों को पोर्टफोलियो में मिडकैप और स्मॉलकैप की तुलना में लार्जकैप में ज्यादा निवेश करने की सलाह है। आईटी, हेल्थकेयर, बैंकिंग, फाइनेंस, सेवा और बीमा के साथ औद्योगिक और रियल एस्टेट में ठीक-ठाक रिटर्न मिलने की उम्मीद है। भारतीय बाजारों को घरेलू और वैश्विक आर्थिक घटनाओं के संयोजन से महत्वपूर्ण प्रभाव का सामना करने की संभावना है। फरवरी, 2025 में आरबीआई की ओर से दर में कटौती की उम्मीद है। जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद व्यापार नीति में बदलाव के साथ-साथ अमेरिकी दर में कटौती की प्रगति से बाजार अस्थिर रह सकता है।

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