सस्ता नहीं होगा आपका कर्ज का किस्त, लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में बदलाव नहीं
मुंबई। सस्ते कर्ज के लिए आपको और ज्यादा इंतजार करना होगा। आरबीआई ने लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रखने का फैसला किया गया है। रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैकों को लोन देता है। जब रेपो रेट बढ़ती है, तो बैकों को आरबीआई से मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है। इसका बोझ वे ग्राहकों पर डालते हैं। इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन पर ब्याज दर बढ़ जाती है।
दास ने कहा कि बैंकों एवं एनबीएफसी के वित्तीय मापदंड मजबूत बने हुए हैं और वित्तीय क्षेत्र की सेहत बेहतरीन स्थिति में है। चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2024-25 में टिकाऊ स्तर पर बना रहेगा जबकि रुपया उभरती अर्थव्यवस्था वाले अन्य देशों की तुलना में कम उतार-चढ़ाव वाला बना हुआ है।
दास ने कहा कि बैंकों में जमा अनक्लेम्ड डिपॉजिट की समस्या से निपटने के लिए बैंकों को डीबीटी के जरिए बेनिफिशियरी अकाउंट्स को सेग्रीगेट करने का फैसला किया गया है। सेंट्रल बैंक डीबीटी फंड्स के सीमलेस फ्लो पर जोर दिया है। आरबीआई का कहना है कि वह इसके कंप्लायंसेज और इफेक्टिवनेस पर नजर रखेगा।
दास ने कैश रिजर्व रेश्यो में कटौती करके इसे चार फीसदी करने का फैसला किया है। पहले यह 4.5 फीसदी था। इससे नकदी की समस्या दूर होगी। दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक की न्यूट्रल पॉलिसी स्टैंस के अनुरूप है। नकद आरक्षित अनुपात (CRR) बैंकों की जमा राशि का वह हिस्सा होता है, जो बैंकों को आरबीआई के पास अनिवार्य रूप से रखना होता है। आरबीआई के इस कदम से बैंकों के लिए 1.16 लाख करोड़ रुपये की नगदी उपलब्ध होगी।
दास ने कहा कि इस फाइनेंशियल ईयर में महंगाई के 4.8% रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में इसके बढ़कर 5.7% रहने का अनुमान है लेकिन चौथी तिमाही में यह घटकर 4.5% रहेगी। अगले साल की पहली तिमाही में इसके 4.6% और दूसरी तिमाही में 4% रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जीडीपी ग्रोथ रेट के फाइनेंशियल ईयर 2025 में 6.6% रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में यह 6.8% रह सकती है जबकि चौथी तिमाही में बढ़कर 7.2% हो सकता है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 6.9% और दूसरी तिमाही में 7.3% रहने का अनुमान है।
दास ने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की गिरावट व्यापक नहीं है और यह कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित है। दूसरी तिमाही में ग्रोथ अनुमान से कम रही। हालांकि उन्होंने कहा कि हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स से संकेत मिल रहे हैं कि घरेलू गतिविधियों में सुस्ती दूसरी तिमाही में निचले स्तर पर पहुंच गई है जो इकनॉमिक ट्रेंड्स में स्थिरता का संकेत है।
दास ने कहा कि तीसरी तिमाही में खाने-पीने की चीजों की महंगाई बने रहने का अनुमान है लेकिन चौथी तिमाही में इसमें गिरावट आने की उम्मीद है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महंगाई से उपभोक्ता प्रभावित होते हैं क्योंकि उनकी डिस्पोजेबल इनकम में गिरावट आती है। इससे लोगों के खर्च करने की क्षमता प्रभावित होती है और पूरी इकॉनमी पर असर होता है।
एमपीसी ने 4-2 की मैज्योरिटी के साथ रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रखने का फैसला किया है। एसडीएफ रेट भी 6.25% और एमएसएफ रेट 6.75% पर यथावत है। बैंक ने अपना रुख तटस्थ बनाए रखा है। दास ने कहा कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से न्यूट्रल पॉलिसी रुख बनाए रखने का फैसला किया है।
जबसे इकॉनमी के सितंबर तिमाही के आंकड़े आए हैं तबसे ब्याज दरों में कटौती की मांग तेज हो गई है। इसके 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था लेकिन यह 5.4 फीसदी रही। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण और कॉमर्स मिनस्टर पीयूष गोयल ने आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती करने की मांग की है।