एसआईपी और एसटीपी क्लाइंट पोर्टफोलियो में इस तरह से जोड़ते हैं मूल्य

मुंबई- एसआईपी और एसटीपी पोर्टफोलियो प्रबंधन के लोकप्रिय साधन बन गए हैं। खासतौर पर म्यूचुअल फंड में। निवेश के लिए यह बेहतर संरचनात्मक और अनुशासित रणनीति है जो निवेश की शुरुआत करने वाले और मंजे हुए निवेशक दोनों के लिए अपनी दौलत बनाने और बढ़ाने का बेहतर उपाय है।

व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) निवेशकों को सामान्यत: म्यूचुअल फंड में नियमित अंतराल में एक निश्चित राशि निवेश करने का विकल्प देते हैं। अपनी सुलभता के कारण यह तरीका बेहद आकर्षक है-निवेशकों को निवेश प्रारंभ करने के लिए एक बड़ी राशि की जरूरत नहीं होती। इसलिए बेहद छोटी शुरूआत करने वालों के लिए यह बिलकुल आदर्श विकल्प है। नियमित निवेश करने से एसआईपी निवेशकों में बचत की अनुशासित आदत डालता है। इससे आगे चलकर धीरे धीरे एक बड़ी पृंजी जुटती है।

दूसरी ओर व्यवस्थित ट्रांसफर योजना (एसटीपी) एक रणनीति है। इसमें निवेशक धीरे-धीरे एक तय राशि एक म्यूचुअल फंड से निकालकर दूसरे में ट्रांसफर करते हैं। खासतौर पर डेट या लिक्विड फंड से इक्विटी फंड में। उदाहरण के लिए एक क्लाइंट प्रारंभ में एकमुश्त राशि लिक्विड फंड में निवेश करता है। बाद में वह एसटीपी के माध्यम से यह राशि समय समय पर इक्विटी फंड में डालता है। इस चरणबद्ध तरीके से निवेश का तरीका निवेशक को एक ही बार में सारा उतार-चढ़ाव से भरे शेयर बाजार में लगाने की जोखिम से बचाता है। साथ ही बाजार में सटीक समय का इंतजार किए बगैर निवेशक को ग्रोथ के अवसर प्रदान करता है।

एसआईपी यह वैल्यू आपके पोर्टफोलियो में लाता है

  1. निवेश में अनुशासन और स्थायित्व: एसआईपी निवेश के लिए एक संरचनात्मक नजरिया बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि नियमित अंतराल में निवेश होता रहे। यह स्थायित्व अनुशासन लाता है। निवेशक को बाजार में उतारचढ़ाव दौरान बदहवासी में निर्णय लेने से बचाता है। निवेशक इस नियमितता से एक आदत विकसित करता है जो कालांतर में उसके पोर्टफोलियो को संतोषप्रद तरीके से बढ़ाने में मदद करती है।
  2. रुपए की औसत लागत:रुपए की औसत लागत या “रुपी कॉस्ट एवरेजिंग’ एसआईपी का प्रमुख लाभ है। यह कीमत कम होने पर निवेशक को ज्यादा यूनिट और कीमत ज्यादा होने पर कम यूनिट खरीदने की गुंजाइश प्रदान करता है। कालांतर में इससे प्रति यूनिट लागत कम की जा सकती है। खासतौर पर अस्थिर बाजार में। अंतत: जब बाजार में सुधार आता है और वह चढ़ना प्रारंभ करता है तो निवेशक को ज्यादा रिटर्न मिलता है।
  1. चक्रवृद्धि या कंपाउंडिंग की ताकत: एसआईपी के जरिए निवेशक को कंपाउंडिंग या चक्रवृद्धि का फायदा मिलता है। मायने यह हैं कि निवेशक को मिला रिटर्न खुद अपने लिए रिटर्न अर्जित करने लगता है। लगातार निवेश करते रहने पर निवेशक “कंपाउंडिंग इफेक्ट’ का लाभ लेकर अपने पोर्टफोलियो की वैल्यू में बढ़ोतरी कर सकता है। यह “इफेक्ट’ समय के साथ और स्पष्ट नजर आता है। साथ ही लंबी अवधि में ग्रोथ हासिल करने के लिए एसआईपी एक मजबूत पसंद बताता है।
  2. सुगम और लचीली: एसआईपी बेहद आसान है। ये निवेशक को एक बेहद कम राशि के साथ निवेश शुरू करने का विकल्प देती है। माली हालत में सुधार होने के बाद इसमें निवेश को बढ़ाया जा सकता है। इसमें लचीलापन है। इसके मायने यह है कि बदलते वित्तीय हालत में निवेशक एसआईपी के बेस में बदलाव कर सकता है। कुल मिलाकर इसमें निवेशक को अपनी निवेश की रणनीति को नियंत्रित कर सकता है। उसे किसी कठिन नियम और शर्तों से बंधना नहीं होता।
  3. लक्ष्य केंद्रित नजरिया: एसआईपी लक्ष्य आधारित निवेश से बेहतर ढंग से जुड़ा है। यह लक्ष्य रिटायरमेंट, घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा के लिए धन जुटाना हो सकता है। एक निश्चित समय के लिए एक निश्चत राशि के निवेश से निवेशक इनके लिए जरूरी धन का संग्रह कर सकता है। इसके लिए उसे एक बड़े निवेश की जरूरत नहीं होती।

एसटीपी पोर्टफोलियो की वैल्यू इस तरह बढ़ाएं

  1. चरणबद्ध निवेश से आपदा प्रबंधन: उन निवेशकों के लिए एसटीपी निवेश का एक प्रभावी तरीका है जो शेयर मार्केट में निवेश तो करना चाहते हैं,लेकिन वहां होने वाले उतारचढ़ाव को लेकर फिक्रमंद भी है। डेट या लिक्विड फंड से नियमित अंतराल में धन निकालकर उसे इक्विटी फंड में डालने से निवेशक उतार चढ़ाव वाले बाजार में एक ही बार में एक बड़ी राशि निवेश करने से होने वाली जोखिम से बच जाता है। वह एसटीपी के माध्यम से न केवल जोखिम का प्रबंधन करने में सक्षम होता है, बल्कि वह ग्रोथ की अवसरों को भी भुनाने से नहीं चुकता।
  1. लचीलेपन के साथ रिटर्न बढ़ाना: एसटीपी डेट फंड में एक बड़ी राशि पार्क करने वाले उन निवेशक के लिए एक बेहद लचीला और संरचनात्मक रास्ता है जो ऊंचे रिटर्न के लिए यह पैसा शेयर बाजार में लगाना चाहते हैं। इस चरणबद्ध शिफ्टिंग से निवेशक को बढ़ते बाजार में निवेश करने का मौका मिलता है। वह भी एक ही बार में बड़ी राशि बाजार में लगाने से तत्काल होने वाली जोखिम के बगैर।
  2. कर दक्षता: एसटीपी के माध्यम से आप उचित समय में फंड ट्रांसफर करके टैक्स भी बचा सकते हैं। समयबद्ध तरीके से डेट फंड से पैसा इक्विटी में लगाने से निवेशक को अपनी टैक्स देनदारियों के प्रबंधन का अवसर मिलता है। क्योंकि छोटी राशि निकालने पर अक्सर शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन का बोझ घटता है। इस तरह से एसटीपी का रणनीतिक ढंग से इस्तेमाल रिटर्न लेने पर होने वाले टैक्स के बोझ को घटाता है।
  3. निष्क्रिय धन का उचित उपयोग: अक्सर निवेशकों का पैसा कम ब्याज देने वाले खातों में पड़ा रहता है। यह पैसा लिक्विड या डेट फंड में लगाकर एक एसटीपी के माध्यम से पैसा इक्विटी फंड ट्रांसफर करने से यह सुनिश्चित होता है कि पैसा उचित ढंग से निवेश किया गया है। इसमें डेट फंड की सुरक्षा के साथ इक्विटी में ग्रोथ की संभावना का बेहतरीन तालमेल होता है।
  4. चरणबद्ध मुनाफा वसूली: एसटीपी के माध्यम से धन को वापस इक्विटी से डेट में भी लगाया जा सकता है। यह वापसी निवेशक के लिए एक तय सीमा में ज्यादा रिटर्न सुनिश्चित करती है। इक्विटी से पैसा सुरक्षित जगह ले जाने से निवेशक का धन सुरक्षित रहता है। इसमें शेयर बाजार के गिरने से होने वाली जोखिम से बचाव होता है।

एसआईपी और एसटीपी: संतुलित पोर्टफोलियो बनाना
एसआईपी व एसटीपी दोनों के विशिष्ट फायदे हैं। इन्हें निवेश की जरूरतों के हिसाब से ढाला जा सकता है। एसआईपी जहां अनुशासित और नियमित निवेश को बढ़ावा देता है। यह रुपी कास्ट एवरेजिंग,चक्रवृद्धि या कंपाउडिंग के माध्यम से बढ़कर एक अंतराल में निवेशक को पैसा बनाने में मदद करता है। वहीं एसटीपी उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जिनके पास बड़ा पैसा है। वे इसे नियंत्रण के साथ शेयर बाजार में लगाने की इच्छा रखते हैं। एसटीपी इन्हें अनावश्यक जोखिम लिए बगैर निवेश करने का मौका देता है।

एसआईपी और एसटीपी दोनों का एक साथ उपयोग संतुलित और विविधतापूर्ण निवेश की रणनीति है। एसआईपी के माध्यम से लंबी अवधि धन एकत्र किया जाता है तो दूसरी ओर एसटीपी जोखिम को कम करके इक्विटी जैसी असेट क्लास में ग्रोथ हासिल करने का विकल्प है। दोनों का साझा उपयोग निवेशक को एक संरचनात्मक, ग्रोथ आधारित निवेश प्लान का फायदा मिल सकता है। इस प्लान में उनके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम से बचाव दोनों होगा।

कुल मिलाकर एसआईपी और एसटीपी दोनों फाइनेंशियल प्लानर के पोर्टफोलियो प्रबंधन के अहम हथियार हैं। एसआईपी जहां छोटे लेकिन नियमित निवेश प्लान है जिससे एक निश्चित समय अंतराल में दौलत बनती है। वहीं, दूसरी ओर एसटीपी एक मुश्त राशि वाले निवेशकों को उच्च रिटर्न वाली एसेट क्लास में चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट होने का मार्ग बताता है। दोनों मिलाकर लंबी अवधि में वित्तीय ग्रोथ का मजबूत आधार तैयार करता है जो निवेशक को अपने लक्ष्य को हासिल करने और जोखिम को घटाने में मदद करता है।

-एडलवाइस म्यूचुअल फंड की ओर से निवेशक शिक्षा का एक प्रयास
सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार केवाईसी प्रोसेस से होकर गुजरना होता है। निवेशक केवल पंजीकृत म्यूचुअल फंड (आरएमएफ) में ही निवेश करें। केवाईसी और आरएमएफ और किसी शिकायत या सुझाव के लिए  https://www.edelweissmf.com/kyc-norm पर जाएं।
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