एशियाई वृद्धि की अगली लहर का नेतृत्व करेगा भारत, चीन का योगदान घटेगा
मुंबई- मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाएं एशिया के विकास की अगली लहर को चलाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि क्षेत्र के विकास में चीन का योगदान घटने वाला है।
बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया, फीलीपीन और मलयेशिया जैसी अन्य उभरती दक्षिण पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ एशिया में विकास की अगली लहर का नेतृत्व भारत करेगा। इन चार अर्थव्यवस्थाओं का सामूहिक रूप से 2027 तक एशिया की नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि में 53 प्रतिशत योगदान होने की उम्मीद है। कोरोना से पहले के समय में 33 फीसदी का योगदान था।
रिपोर्ट के अनुसार, उपरोक्त प्रकार के बदलाव तब आते हैं, जब जनसांख्यिकीय परिवर्तन, नीतिगत प्राथमिकताएं और देश मिलकर क्षेत्र के आर्थिक परिदृश्य को नया आकार देते हैं। पिछले कुछ दशकों में एशिया का आर्थिक आकार तेजी से बढ़ा है। 1980 में इसकी नॉमिनल जीडीपी केवल 2.1 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 2024 में अनुमानित 34 लाख करोड़ डॉलर हो गई है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि 2027 तक एशियाई जीडीपी 39 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी। इससे एशिया विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला प्रमुख आर्थिक क्षेत्र बन जाएगा। हालाँकि, इसकी गति इसके ऐतिहासिक रिकॉर्ड की तुलना में धीमी हो सकती है। विकास चालकों में यह बदलाव बदलती जनसांख्यिकी और विकसित होती सरकारी नीतियों को दर्शाता है।
जैसे-जैसे चीन की आबादी बूढ़ी हो रही है और उसकी अर्थव्यवस्था तेजी से विकास से दूर जा रही है, एशिया में युवा, उच्च विकास वाली अर्थव्यवस्थाएं बड़ी भूमिका निभा रही हैं। भारत, इंडोनेशिया, फीलीपीन और मलयेशिया अनुकूल जनसांख्यिकीय रुझानों और आर्थिक विस्तार पर केंद्रित नीतियों से लाभान्वित होते हैं। ये घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित कर रहे हैं।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मार्च 2027 तक सालाना 6.5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। बुनियादी ढांचे पर खर्च और निजी उपभोग से भारत के विकास की गति बढ़ रही है। मजबूत कॉरपोरेट खाता-बही के कारण बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर कर्ज 31 मार्च, 2025 तक कुल कर्ज के तीन प्रतिशत तक कम हो जाएंगे।