अक्तूबर में विदेशी निवेशकों ने निकासी के तो घरेलू निवेशकों ने निवेश के तोड़े रिकॉर्ड
मुंबई- वैश्विक स्तर पर भारी उथल पुथल और चीन की ओर से राहत पैकेज दिए जाने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशक यानी एफआईआई ने भारतीय बाजार से किसी एक महीने में अब तक की सबसे बड़ी निकासी की है। अक्तूबर में इन निवेशकों ने 95,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह रकम कोरोना में मार्च 2020 में निकाली गई 61,973 करोड़ के रिकॉर्ड से भी अधिक है। उधर, घरेलू निवेशकों ने इसी दौरान एक लाख करोड़ का निवेश कर नया रिकॉर्ड बना दिया है।
आंकड़ों के मुताबिक इस साल सितंबर तक निवेश करने के बार अक्तूबर में इन निवेशकों ने भारी निकासी शुरू कर दी है। सितंबर में उन्होंने 57724 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। इससे पहले दिसंबर में 66135 करोड़ के शेयर खरीदे थे। इस साल में अब तक निवेशकों ने केवल 8,500 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। जिस तरह का रुझान है, इससे लगता है कि दिसंबर अंत तक ये निवेशक निकासी ही कर सकते हैं।
इन निवेशकों ने मार्च 2022 में 62,000 करोड़ रुपये निवेश किए थे। सालाना आधार पर 2023 में एफआईआई ने 1.71 लाख करोड़ के शेयर खरीदे थे। 2022 में 1.21 लाख करोड़ के शेयर बेचे थे। 2021 में 25762 करोड़ के शेयर खरीदे थे। कोरोना के दौरान 2020 में 1.70 लाख करोड़ के शेयर खरीदे थे। 2019 में 1.01 लाख करोड़ के शेयर खरीदे थे।
एफआईआई की इस भारी बिकवाली का असर यह हुआ कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई का सेंसेक्स 8 फीसदी टूट गया। 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978 के रिकॉर्ड स्तर पर था, जो अब 79,389 पर आ गया है। यानी करीब 8 फीसदी की गिरावट रही।
एक महीने में बाजार की भारी गिरावट से सूचीबद्ध कंपनियों की पूंजी भी जमकर घटी है। 27 सितंबर को यह 477 लाख करोड़ रुपये थी जो अब 445 लाख करोड़ रह गई है।
एफआईआई के उलट घरेलू संस्थागत निवेशक बाजार में पैसे झोंक रहे हैं। इन्होंने अक्तूबर में एक लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं जो अब तक का रिकॉर्ड है। इस पूरे साल में रिकॉर्ड 4.41 लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है। इसी साल मार्च में इन निवेशकों ने अब तक का रिकॉर्ड 56,356 करोड़ रुपये का निवेश किया था।