जिरोधा के निखिल कामथ बोले, कड़े नियमों से ब्रोकिंग चलाना अब मुश्किल काम

मुंबई- भारत की तीसरी सबसे बड़ी स्टॉकब्रोकिंग कंपनी ज़ेरोधा के को-फाउंडर्स नितिन और निखिल कामथ ने चेतावनी दी कि अत्यधिक नियम विकास में बाधा डाल सकते हैं और उद्यमिता को हतोत्साहित कर सकते हैं।

निखिल कामथ ने स्टार्टअप इकोसिस्टम के भीतर “अनिश्चितता” पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने उद्यमियों और नियामकों के बीच सहयोगात्मक संबंध की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हम ऐसे नियामकों के अधीन हैं जिनके साथ हमारा कोई प्रभाव या उनके फैसलों तक पहुंच नहीं है। वे एक दिन में हमारी आय को 50 प्रतिशत तक घटा सकते हैं। वे हमें बंद कर सकते हैं।”

हालांकि, कामथ ने यह भी माना कि नियामकों ने सिस्टम को मजबूत बनाया है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि हद से ज्यादा कायदे-कानून इनोवेशन को दबा सकते हैं। कामथ ने उदाहरण देते हुए कहा, “एक कक्षा में जहां 50 बच्चे हों और शिक्षक मनमाने तरीके से नियम बनाए और बच्चों को डांटे, क्या उन बच्चों में इनोवेशन की भावना उत्पन्न होगी जो डर के माहौल में जी रहे हैं? शायद नहीं।”

नितिन कामथ ने भी अपने भाई की चिंताओं को दोहराया और बताया कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नए नियम ज़ेरोधा की रेवेन्यू ग्रोथ को धीमा कर सकते हैं। उन्होंने SEBI के “ट्रू-टू-लेबल” सर्कुलर का उदाहरण दिया कि कैसे नियम उनकी गतिविधियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। नितिन ने कहा, “एक ब्रोकिंग फर्म चलाना कठिन काम है।”

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