टमाटर की कीमत 100 के पार, बाकी सब्जियां भी महंगी, लहसुन 300 रुपये

मुंबई- त्योहार शुरू होते ही सब्जियों और फलों के दाम आसमान छूने लगे हैं। सबसे चौंकाने वाला भाव टमाटर का है। यह अब 100 रुपये किलो के पार हो गया है। कुछ बाजारों में तो यह 120 रुपये तक बिक रहा है।

पिछले कुछ दिनों से सब्जियों की कीमतें अचानक बढ़ने लगीं हैं। टमाटर के दाम उत्तर प्रदेश के नोएडा और प्रयागराज सहित अन्य बाजारों में 100 से 120 रुपये किलो पहुंच गए हैं। मुंबई में भी यह इसी भाव के आस-पास है। दूसरी ओर, आलू जहां 40 रुपये किलो है, वहीं प्याज के दाम 60-70 रुपये किलो हो गए हैं। तुरई 70 रुपये किलो और धनिया 200 रुपये किलो बिक रही है।

खुदरा व्यापारियों के अनुसार, मुख्य रूप से टमाटर, आलू और प्याज काफी महंगे हैं। हालांकि, अन्य सब्जियों में लौकी 50 रुपये किलो तो गोबी 80 रुपये किलो है। गाजर 40 रुपये, खीरा 40 रुपये और परवल 60 रुपये किलो बिक रहा है। लहसुन 350 रुपये किलो और अदरक 200 रुपये किलो है। हालांकि, दालों के दाम लंबे समय से स्थिर हैं।

अभी तक सस्ते दर पर मिल रहे भारत आटा, दाल और चावल भी त्योहारी सीजन में महंगे हो गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक हफ्ते में इनकी बिक्री शुरू होगी। 10 किलो आटे के दाम अब 300 रुपये होंगे, जो पहले 275 रुपये था। 10 किलो चावल का भाव 320 रुपये हो जाएगा जो पहले 295 रुपये था। एक किलो चना दाल की कीमत 60 से बढ़कर 70 रुपये हो जाएगी।

भारत दाल (मूंग) 107 रुपये किलो हो सकती है। मसूर को सस्ते भाव पर बेचने की तैयारी है। इसका दाम 89 रुपये किलो हो सकता है। बेमौसम बारिश और वायरस के हमले से नासिक के आसपास के प्रमुख कृषि क्षेत्रों में टमाटर की फसल नुकसान हुई है। इससे आपूर्ति घट गई है। इस वजह से एक हफ्ते में ही कीमत ज्यादा बढ़ गई है। नासिक के किसानों के मुताबिक, टमाटर का 20 किलोग्राम का कैरेट अब कृषि बाजारों में 1,500 रुपये से 1,600 रुपये हो गया है। इससे खुदरा कीमतें 100 रुपये से 120 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो गई हैं।

कीमतों में तेजी से जहां कुछ किसानों को लाभ हुआ है, वहीं अन्य को भारी बारिश से नुकसान हुआ है। व्यापारियों को उम्मीद है कि नई फसल आने के बाद कीमतें स्थिर हो जाएंगी। व्यापारियों ने कहा, जिन इलाकों में थोड़ी कम बारिश हुई है, या जहां फसलों को कम नुकसान हुआ है, वहां के व्यापारियों को अच्छा भाव मिल रहा है। पर ज्यादातर व्यापारियों की फसलें खराब होने से उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

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