एसएमई आईपीओ में ज्यादा माल कमाने वाले 6 मर्चेंट बैंक सेबी के रडार पर

मुंबई- छोटे और मझोले आईपीओ में कंपनियों से कई गुना ज्यादा फीस वसूलने वाले छह मर्चेंट बैंकरों की सेबी जांच कर रहा है। इन सभी ने आईपीओ में भारी-भरकम बोली लगाने के नाम पर कंपनियों से उनके कुल इश्यू साइज का 15 फीसदी तक शुल्क लिया है। जबकि औसत शुल्क एक से तीन फीसदी तक होता है।

गौरतलब है कि हाल में छोटी एवं मझोली कंपनियों (एसएमई) के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की बाढ़ आ गई है। इन सभी का इश्यू कई गुना भरा है। उसी आधार पर निवेशकों को फायदा भी मिला है। ऐसे में इसका फायदा उठाते हुए मर्चेंट बैंकरों ने कंपनियों की जुटाई गई रकम का 15 फीसदी तक फीस वसूल लिया।

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच इस साल की शुरुआत में शुरू हुई है। सेबी बार-बार निवेशकों को बाजार में पैसा लगाने को लेकर सावधान कर रहा है। एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध होने वाली कंपनियों को बड़ी कंपनियों की तुलना में कम जानकारी देनी होती है।

सेबी की शुरुआती जांच से पता चला है कि आईपीओ को ओवरसब्सक्राइब करने के लिए मर्चेंट बैंकर ज्यादा शुल्क ले रहे हैं। नियामक मर्चेंट बैंकों और कुछ बड़े निवेशकों के बीच गठजोड़ वाली गतिविधि पर अंकुश लगाना चाहता है। ये निवेशक नियमों को तोड़कर हाई नेटवर्थ और खुदरा निवेशकों की कैटेगरी में खूब ज्यादा बोली लगाते हैं। ये बोलियां वास्तविक नहीं होती हैं। शेयरों के आवंटन के समय इस तरह की बोली को खारिज कर दिया जाता है। लेकिन इस वजह से अन्य निवेशक भी पैसा लगाने के लिए आकर्षित होते हैं।

देश में 60 से अधिक इन्वेस्टमेंट बैंकर हैं। ये छोटे कारोबार वाले आईपीओ के लिए काम करते हैं। एसएमई क्षेत्र भारत में आईपीओ बाजार में तेजी से आ रहा है। मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में 205 एसएमई कंपनियों ने 60 अरब रुपये जुटाए। 2022-23 में 125 कंपनियों ने 22 अरब रुपये जुटाए थे।

इस साल अप्रैल-अगस्त में 105 एसएमई आईपीओ ने 35 अरब रुपये जुटाए हैं। इनमें से दो-तिहाई से अधिक आईपीओ को भरपूर सब्सक्रिप्शन मिला है। जुलाई में सेबी ने एसएमई आईपीओ के पहले दिन शेयरों की तेजी पर 90 फीसदी की सीमा लगा दी है। सेबी 12-15 एक्शन पॉइंट्स पर भी काम कर रहा है, जो छोटी कंपनियों के लिए नियम और ज्यादा सख्त बनाएगा।

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