फ्यूचर एंड ऑप्शन में डूब रहे निवेशक, तीन साल में 1.8 लाख करोड़ का घाटा

मुंबई- शेयर बाजार की भारी तेजी के बीच सेबी की एक रिपोर्ट ने चौंका दिया है। पिछले तीन वर्षों में फ्यूचर एंड ऑप्शन में 91 फीसदी या 73 लाख निवेशकों को नुकसान हुआ है। इस दौरान इन निवेशकों के 1.81 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। यानी हर निवेशक को औसत 1.2 लाख रुपये का घाटा हुआ है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, केवल 7.2 फीसदी व्यक्तिगत एफएंडओ ट्रेडर्स ने तीन साल में लाभ कमाया। एक फीसदी ट्रेडर्स एक लाख रुपये से अधिक मुनाफा कमाए। जनवरी, 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में 89 फीसदी निवेशक घाटे में थे। खुदरा ट्रेडर्स की संख्या दो वर्षों में लगभग दोगुनी होकर वित्त वर्ष 2024 में 96 लाख हो गई है।

वित्त वर्ष 2022 से 2024 के बीच एफएंडओ में फायदा और घाटा का अध्ययन किया गया। इसमें पता चला कि 1.13 करोड़ निवेशकों में से 93 फीसदी को हर ट्रेड पर औसत दो लाख का घाटा हुआ है। शीर्ष 3.5 फीसदी यानी चार लाख निवेशकों को हर ट्रेड पर औसत 28 लाख का नुकसान हुआ है। केवल एक फीसदी निवेशक ऐसे रहे हैं जो एक लाख रुपये से ज्यादा का लाभ कमाने में सफल हुए हैं।

खुदरा निवेशकों के विपरीत, प्रोपराइटरी ट्रेडर्स और विदेशी संस्थागत निवेशकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में 33,000 करोड़ और 28,000 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया है। इसके उलट खुदरा निवेशकों और अन्य ने 61,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया है। ज्यादा लाभ उन बड़े संस्थानों को हुआ है, जो अल्गोरिदम का उपयोग करते हैं। एफपीआई का 97 फीसदी और प्रोपराइटरी ट्रेडर्स का 96 फीसदी फायदा अल्गोरिदम ट्रेडिंग से आया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में हर खुदरा निवेशक ने लेनदेन पर औसत 26,000 रुपये खर्च किया। तीन साल में कुल मिलाकर यह खर्च 50,000 करोड़ रुपये हो गया। इसमें से 51 फीसदी लागत ब्रोकरेज की और 20 फीसदी एक्सचेंज की थी।

एफएंडओ में 2022-23 में युवा ट्रेडरों (30 साल से कम) की संख्या 31 फीसदी बढ़ी थी। 2023-24 में यह 43 फीसदी बढ़ गई। कुल एफएंडओ ट्रेडर में शीर्ष 30 शहरों से आगे के निवेशकों की संख्या 72 फीसदी है। जबकि इन्हीं शहरों में म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या 62 फीसदी है।

वित्त वर्ष 2023-24 में एफएंडओ में निवेश करने वालों में से 75 फीसदी ऐसे निवेशक ऐसे रहे हैं, जिनकी सालाना कमाई 5 लाख रुपये से कम रही है। हर साल लगातार घाटा सहने वाले 75 फीसदी से ज्यादा निवेशकों ने निवेश करना जारी रखा।

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