म्यूचुअल फंड में निवेश से आरबीआई चिंतित, दास ने कहा, इससे बढ़ेगी समस्या

मुंबई- हाल के महीनों में म्यूचुअल फंड्स में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इस पर चिंता जताई है। आरबीआई की एमपीसी बैठक में दास ने रिटेल मनी के ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट रूट्स में जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि इससे देश के बैंकों के लिए स्ट्रक्चरल समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

दास ने कहा, ‘यह देखा गया है कि रिटेल ग्राहकों के लिए वैकल्पिक निवेश के रास्ते अधिक आकर्षक होते जा रहे हैं और बैंकों को फंडिंग के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि बैंक में डिपॉजिट ग्रोथ क्रेडिट के मुकाबले पीछे हैं। यही वजह है कि बैंकों को ऋण की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट्स और लाइबिलिटी के अन्य साधनों का ज्यादा सहारा लेना पड़ रहा है।’

दास ने कहा कि यह बैंकिंग सिस्टम की स्ट्रक्चरल लिक्विडिटिली की समस्याओं को एक्सपोज कर सकता है। इसलिए, बैंकों को अपने व्यापक नेटवर्क का फायदा उठाकर इनोवेटिव उत्पादों और सर्विस ऑफरिंग्स के जरिए घरेलू वित्तीय बचत को जुटाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ लगातार बढ़ रहा है जबकि इसके मुकाबले डिपॉजिट्स में कमी आई है। लोग म्यूचुअल फंड और शेयरों में जमकर पैसा लगा रहे हैं। हाल के महीनों में अकेले म्यूचुअल फंड में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है।

दास ने भी हाल में एक कार्यक्रम में कहा कि लोग अपनी बचत को निवेश करने के लिए पारंपरिक बैंकों की तुलना में पूंजी बाजार को अधिक पसंद कर रहे हैं। फाइनेंशियल एसेट्स के हिसाब से देखें तो बैंक डिपॉजिट्स परसेंटेज के रूप में सबसे ज्यादा है लेकिन उसका हिस्सा घट रहा है। लोग अपनी बचत को म्यूचुअल फंड, बीमा फंड और पेंशन फंड में लगा रहे हैं।

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