सस्ते कर्ज के लिए अक्तूबर तक करना पड़ेगा इंतजार, रेपो में कटौती में देरी
मुंबई-सस्ता कर्ज पाने के लिए ग्राहकों को अक्तूबर तक इंतजार करना पड़ सकता है। महंगाई के जोखिम और अमेरिकी केंद्रीय बैंक के दरों में कोई बदलाव नहीं करने के कारण आरबीआई तीसरी तिमाही तक रेपो दर में कमी का फैसला टाल सकता है।
अर्थशास्त्रियों का पहले मानना था कि जून की बैठक में आरबीआई दरों में कटौती कर सकता है। अब महंगाई के जोखिम को देखते हुए यह फैसला अक्तूबर से दिसंबर के बीच हो सकता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस पूरे साल में रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती हो सकती है।
फिलहाल रेपो दर 6.5 फीसदी पर बनी हुई है।
आरबीआई ने सात बार से दरों को यथावत रखा है। महंगाई आरबीआई के दायरे से अभी भी ऊपर है। हालांकि, केंद्रीय बैंक का लक्ष्य दो फीसदी घट बढ़ के साथ चार फीसदी है। गर्मी में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ीं तो महंगाई आरबीआई की चिंता बढ़ा सकती है।
आरबीएल बैंक की अर्थशास्त्री अचला जेठमलानी ने कहा, भारत की विकास दर अच्छी है। महंगाई नियंत्रण में है। लेकिन वैश्विक विकास पर नजर रखना महत्वपूर्ण है। विकसित देशों, विशेष रूप से अमेरिका के केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति दर के नजरिये से संभवतः घरेलू बदलाव ला सकती है।
अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर तक के लिए अपने तिमाही महंगाई पूर्वानुमान को थोड़ा कम कर दिया है। सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष के लिए अनुमान को 4.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया था। अधिकांश अर्थशास्त्रियों को उम्मीद नहीं है कि आरबीआई अमेरिकी केंद्रीय बैंक से पहले दरों में कटौती करेगा। अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस साल के अंत तक कटौती कर सकता है या टाल भी सकता है। भारत जैसे उभरते बाजारों में केंद्रीय बैंक दरों में कटौती करके अपनी मुद्राओं को और कमजोर करने से सावधान रहेंगे।
मॉर्गन स्टेनली ने इस महीने कहा था कि एशिया के अधिकांश केंद्रीय बैंक दरों में कटौती में देरी करेंगे। भारत में भी इस साल दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। डीबीएस ग्रुप होल्डिंग्स की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, भारत दर में कटौती को अप्रैल 2025 में शुरू होने वाले वित्त वर्ष तक टाल सकता है।