कर्ज लेने वालों को ब्याज के साथ सभी शुल्क की बैंकों को देनी होगी जानकारी
मुंबई। आरबीआई ने अब सभी तरह के कर्ज लेने वालों को ब्याज दरों के अलावा सभी शुल्कों की जानकारी वित्तीय संस्थानों को देने के लिए बाध्य कर दिया है। इनमें प्रसंस्करण शुल्क, जुर्माना और कागजातों के शुल्क आदि होंगे। इसे बहुत ही आसान और साधारण प्रारूप में ग्राहक को बताना होगा, ताकि उसे समझ में आए। इससे ग्राहकों को वास्तविक सालाना ब्याज दर की जानकारी मिलेगी। यह न केवल डिजिटल कर्ज देने वाले ऐप्स पर, बल्कि सभी खुदरा और एमएसएमई को दिए जाने वाले कर्ज के मामले में भी लागू होगा।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा, वर्तमान में दिए जा रहे कर्ज में बहुत सारे ऐसे शुल्क होते हैं जो ग्राहकों को पता नहीं होते हैं। पारदर्शिता लाने के लिए मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) को लागू किया गया था। इसमें सभी वार्षिक फीसदी दर (एपीआर), वसूली और शिकायत निवारण तंत्र जैसी जरूरी जानकारी शामिल थी। केएफएस को अब सभी खुदरा और एमएसएमई कर्जों तक बढ़ाया गया है। इससे कर्ज देने में पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहक सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
इस कदम से वित्तीय संस्थान छिपा हुआ शुल्क नहीं वसूल पाएंगे। बैंकों को कर्ज प्रसंस्करण के प्रत्येक चरण के साथ नियम व शर्तों के बदलाव में सभी व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को निर्धारित प्रारूप के अनुसार स्पष्ट, संक्षिप्त, एक पृष्ठ का केएफएस देना होगा। इसे कर्ज एग्रीमेंट में भी अलग से एक बॉक्स के रूप में भी दे सकते हैं।