कीमतें थामने के लिए मार्च तक प्याज निर्यात पर पाबंदी, 80 रुपये पहुंचा दाम
मुंबई- सरकार लगातार खाद्य पदार्थों के दाम और भंडारण पर नियंत्रण की कोशिश कर रही है। अब 31 मार्च, 2024 तक प्याज निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में कहा, हालांकि, अन्य देशों को उनके अनुरोध पर सरकार की ओर से दी गई अनुमति के आधार पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी।
अधिसूचना के मुताबिक, जिनकी लोडिंग इस अधिसूचना से पहले शुरू हो गई थी, उनको निर्यात करने की मंजूरी है। जहां शिपिंग बिल दे दिया गया है व जहाजों ने लोडिंग के लिए पहले से ही भारतीय बंदरगाहों पर प्याज पहुंचा दिया है और इस अधिसूचना से पहले उनकी रोटेशन संख्या आवंटित की गई है, उसे भी निर्यात किया जा सकेगा।
अधिसूचना से पहले जो प्याज सीमा शुल्क को दिया गया है और उनके सिस्टम में पंजीकृत है, वे भी निर्यात हो सकेंगे। जहां प्याज की खेप अधिसूचना से पहले निर्यात के लिए सीमा शुल्क स्टेशन में प्रवेश कर चुकी है और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में पंजीकृत है, वे भी निर्यात हो सकेंगे।
इससे पहले अक्तूबर में केंद्र सरकार ने रिजर्व भंडार से खुदरा बाजारों में 25 रुपये किलो प्याज बेचने का निर्णय लिया था। बावजूद इसके कीमतों पर कोई अंकुश नहीं लग पाया। इस समय खुदरा बाजार में प्याज 70-80 रुपये किलो बिक रहा है।
सरकार ने कीमतों पर काबू पाने के लिए अक्तूबर से दिसंबर तक प्याज निर्यात का भाव कम से कम 800 डॉलर कर दिया था। इससे पहले अगस्त में 31 दिसंबर तक प्याज पर 40 फीसदी का निर्यात शुल्क भी लगा दिया गया था। फिर भी कीमतें कम नहीं हुईं। एक अप्रैल से 4 अगस्त तक 9.75 लाख टन प्याज निर्यात किया गया है। इसमें सबसे अधिक बांग्लादेश, मलयेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं।
सरकार गेहूं की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत जनवरी-मार्च, 2024 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का 25 लाख टन अतिरिक्त गेहूं बेचने को तैयार है। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा, साप्ताहिक ई-नीलामी में एफसीआई अब तक 44.6 लाख टन गेहूं थोक ग्राहकों को बेच चुका है। इससे खुले बाजार में कम दाम पर गेहूं की उपलब्धता बढ़ी है, जिससे आम ग्राहकों को लाभ हुआ है।
अनाज की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए व्यापारियों और मिल मालिकों की गेहूं भंडारण की सीमा घटा दी गई है। कारोबारी और थोक विक्रेता अब केवल 1,000 टन गेहूं का भंडार रख सकते हैं। सितंबर में यह सीमा घटाकर 2,000 टन कर दी गई थी जो उससे पहले 3,000 टन थी। कारोबारियों को 30 दिन के अंदर सीमा घटानी होगी। उन्हें हर शुक्रवार को इसकी जानकारी सरकार की वेबसाइट पर देनी होगी। खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन से घटकर 5 टन हो गई है।
खाद्य पदार्थों के भाव में लगातार हो रही बढ़ोतरी का असर नवंबर की खुदरा महंगाई में भी दिख सकता है। खुदरा महंगाई के आंकड़े अगले हफ्ते आएंगे। संभावना है कि अक्तूबर की तुलना में यह ज्यादा रह सकती है।