जेपी मॉर्गन बेंचमार्क में शामिल होगा सरकारी बॉन्ड, 2.10 लाख करोड़ आएगा
मुंबई- जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी अपने बेंचमार्क इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत के सरकारी बॉन्ड्स को शामिल करेगी। दो साल तक भारत को वॉचलिस्ट में रखने के बाद यह फैसला किया है। 28 जून 2024 से गवर्मेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट (जीबीआई-ईएम) में शामिल किया जाएगा। भारत 10 फीसदी भार के साथ ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होगा। इससे देश के डेट बाजार में अरबों डॉलर का निवेश आएगा।
इस फैसले से घरेलू डेट बाजार में करीब 2.10 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है। अभी 330 अरब डॉलर (27.36 लाख करोड़ रुपये) के 23 भारतीय सरकारी बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के लिए पात्र हैं। भारत सरकार ने 2020 में फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) की शुरुआत की और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में सहायता के लिए बाजारों में पर्याप्त सुधार किया। जिससे जेपी मॉर्गन भारतीय बॉन्ड्स को इंडेक्स में शामिल करेगा।
एयूएम कैपिटल के नेशनल हेड (वेल्थ) मुकेश कोचर ने कहा कि इससे देश में बेस रेट में बदलाव होगा और ब्याज में भारी कमी आनी चाहिए। उधार की लागत बढ़ने से कोरोना काल से ही भारत में राजकोषीय घाटा बढ़ा हुआ है। अब इसमें कमी होनी चाहिए, क्योंकि उधारी की लागत का एक बड़ा हिस्सा इससे आएगा। यह बैंक, एनबीएफसी जैसी कंपनियों के लिए सकारात्मक है।
सर्वे में शामिल लगभग तीन-चौथाई बेंचमार्क निवेशक भारत को इंडेक्स में शामिल करने के पक्ष में थे। उभरते बाजारों में भारत का बॉन्ड बाजार तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। इसका बाजार पूंजीकरण 1.2 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा है। यह इंडोनेशिया के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। रूस के इस सूची से बाहर होने और चीन में संकट से दुनिया के डेट निवेशकों के लिए कम ही विकल्प रह गए हैं। भारत के शामिल होने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ सकता है। साथ ही रुपये की स्थिरता में मदद मिलेगी। ब्याज दरों में कटौती और बॉन्ड ब्याज में कमी आएगी।
कारोबारियों की तरह सरकार को भी पैसों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सरकार कई बार किसी विशेष प्रोजेक्ट के लिए बॉन्ड जारी करती है। वह बॉन्ड के जरिये यह कर्ज लेती है। सरकार जो बॉन्ड जारी करती है, उसे सरकारी बॉन्ड कहते हैं। इनमें ब्याज थोड़ा कम मिलता है, लेकिन इसमें निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, यह भारत की क्षमता और विकास संभावनाओं पर दुनिया के भरोसे को दिखाता है। जैसे भारतीय शेयर बाजार में निवेश पर निवेशकों को लाभ हुआ है, उसी प्रकार सरकारी बॉन्ड में भी लंबी अवधि के निवेशकों को फायदा होगा। इस फैसले से भारत के उधार लेने की लागत घटेगी। इससे कंपनियों का फायदा बढ़ेगा। इससे रुपये को भी फायदा होगा, क्योंकि सरकारी बॉन्ड्स की खरीद के लिए विदेशी पैसा आएगा।