अब क्रेडिट कार्ड से बैंकों को लग सकती है चपत, 2 लाख करोड़ का है बकाया 

मुंबई- देश में क्रेडिट कार्ड (Credit Card) से पेमेंट का चलन बढ़ रहा है। लेकिन इसके साथ ही देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर एक नए तरह का खतरा भी मंडराने लगा है। वित्तवर्ष 2023 तक देश में क्रेडिट कार्ड की संख्या 8.53 करोड़ पहुंच गई जो एक साल पहले 7.36 करोड़ थी।  

क्रेडिट कार्ड का प्रचलन बढ़ने के साथ ही देश में इसका एनपीए भी बढ़ा है। पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच बैंकों के क्रेडिट कार्ड का एनपीए यानी फंसा कर्ज 24.5 फीसदी उछल गया था। वित्त वर्ष 2022 के पहले नौ महीनों में यह 765 करोड़ रुपये बढ़कर 3,887 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह क्रेडिट कार्ड के कुल बकाये का करीब 2.16 प्रतिशत है।  

खुद आरबीआई (RBI) ने भी इस पर चिंता जताई है। केंद्रीय बैंक ने क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे असुरक्षित कर्ज पर बैंकों को आगाह किया है। क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन की कैटगरी में आते हैं क्योंकि इनके लिए किसी गिरवी की जरूरत नहीं होती है। इसलिए इनके डूबने का जोखिम सबसे ज्यादा है। कोरोना काल में गिरती इनकम और कम ब्याज दरों के कारण लोगों ने क्रेडिट कार्ड से जमकर खरीदारी की।  

क्रेडिट कार्ड से ज्यादातर टीवी, लैपटॉप और फ्रिज जैसे कंज्यूमर आइटम खरीदे गए। अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो बैंक आपको दो विकल्प देता है। आप ड्यू डेट तक पूरा पैसा चुका सकते हैं या फिर एक न्यूनतम रकम दे सकते हैं। तय तारीख तक न्यूनतम रकम देने से बचा पैसा अगले महीने के बिलिंग साइकल में जुड़ जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति 90 दिन के भीतर मिनिमम राशि का भुगतान नहीं करता है तो उसके एनपीए करार दिया जाता है। 

पिछले एक साल में देश में क्रेडिट कार्ड का बकाया 30 फीसदी बढ़ा है। यह ओवरऑल बैंक लोन की तुलना में करीब दोगुना बढ़ा है। अप्रैल में क्रेडिट कार्ड का बकाया दो लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। पहली बार इसने यह आंकड़ा छुआ है। हालांकि बैंकों का कहना है कि इसमें चिंता की बात नहीं है क्योंकि क्रेडिट कार्ड बकाये का हिस्सा बहुत कम है। मगर आरबीआई (RBI) ने अनसिक्योर्ड बैंक क्रेडिट में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है।  

आरबीआई के मुताबिक अप्रैल, 2023 में क्रेडिट कार्ड बैलेंस 2,00,258 करोड़ पहुंच गया है जो पिछले साल अप्रैल की तुलना में 29.7 फीसदी अधिक है। क्रेडिट कार्ड के बकाये में बढ़ोतरी का मतलब है कि लोगों पर कर्ज बढ़ रहा है। टोटल बैंक क्रेडिट में कार्ड बैलेंस की हिस्सेदारी महज 1.4 फीसदी है।  

पर्सनल लोन में यह हाउसिंग (14.1 परसेंट) और ऑटो लोन (3.7 परसेंट) के बाद सबसे ज्यादा है। साल 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से ठीक पहले क्रेडिट कार्ड्स का बकाया 1.2 फीसदी तक चला गया था। इसके बाद एक दशक तक यह एक फीसदी से नीचे बना रहा। अगस्त 2019 में इसने एक फीसदी के आंकड़े को पार किया और फिर उसके बाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 

बैंकिंग सेक्टर को एनपीए की समस्या का सामना करना पड़ा था। अब भी बैंक इस समस्या से नहीं निकल पाए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों ने 3.5 लाख करोड़ रुपये के लोन के विलफुल डिफॉल्टर्स की कैटगरी में डाल रखा है। यह ऐसा लोन है जिसमें लोग लोन चुकाने में सक्षम हैं लेकिन वे जानबूझकर डिफॉल्ट कर रहे हैं। 

अब क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर के रूप में नए तरह का फ्रॉड उभर रहा है जो देश के फाइनेंशियल सिस्टम को खोखला कर सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका को हाल में गंभीर बैंकिंग संकट का सामना करना पड़ा था। वहां क्रेडिट कार्ड बैलेंस एक ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है। यानी कि लोगों पर क्रेडिट कार्ड के बकाये के रूप में एक लाख करोड़ डॉलर का कर्ज है। भारत में अभी पांच प्रतिशत से भी कम लोगों का पास क्रेडिट कार्ड है। जाहिर है कि भविष्य में यह संख्या बढ़ेगी और इसके साथ ही इसमें एनपीए भी बढ़ेगा।  

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