सतत विकास लक्ष्यों और गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित होगा ध्यान- वित्त मंत्री 

मुंबई- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कई विकासशील देशों में बढ़ती ऋण कमजोरियों का मुद्दा उठाया। साथ ही बोझ के प्रबंधन के लिए ‘बहुपक्षीय समन्वय’ पर जी-20 सदस्य देशों से विचार मांगे। जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की बैठक के उद्घाटन सत्र में सीतारमण ने सदस्य देशों से इस पर राय मांगी कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों को कैसे बनाए रखते हुए 21वीं सदी की साझा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए मजबूत किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा, जी-20 जरूरतों और परिस्थितियों का सम्मान करते हुए ताकत का लाभ उठाकर दुनिया भर में जीवन बदल सकता है। 2023 में G-20 ‘वसुधैव कुटुम्बकम – एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य’ की थीम पर आधारित है। यह वैश्विक चुनौतियों के लिए एक समग्र दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करेगा। हमारे प्रयासों में सबसे ज्यादा जरूरत वाले देशों का समर्थन करना और विकासशील देशों की चिंताओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना होगा।  

उन्होंने भविष्य में कल के शहरों के वित्तपोषण की भारत की प्राथमिकता और समावेशी योजनाओं पर बात की। साथ ही लचीले और टिकाऊ शहरों के वित्तपोषण के संबंध में घरेलू नीति के अनुभवों पर 20 विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विचारों का पता लगाने की मांग की। 

विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा था कि दुनिया के सबसे गरीब देशों पर वार्षिक ऋण सेवा में 62 अरब डॉलर बकाया है। 2021 में 46 अरब डॉलर की तुलना में यह 35 फीसदी अधिक है। अगर इसे दूर नहीं किया गया, तो विकासशील देशों का बढ़ता कर्ज वैश्विक मंदी को ला सकता है और लाखों लोगों को और गरीबी की ओर धकेल सकता है। 

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